पिछले कई सालों से इंसाफ़ के लिए राम रहीम के खिलाफ़ एकजुट होकर खड़ा रहा एक परिवार

Sumit Gaur

शुक्रवार का दिन हरियाणा और पंजाब की सुरक्षा व्यवस्था के लिए काफ़ी गहमागहमी वाला दिन था. गुरमीत राम रहीम सिंह को सीबीआई की विशेष अदालत ने आरोपी माना और आने वाले सोमवार (28 अगस्त) को फ़ैसला सुनाने का निर्णय लिया.

सीबीआई की विशेष अदालत ने जैसे ही बाबा के आरोपी होने पर मोहर लगाई, वैसे ही डेरा समर्थक सड़कों पर उतर आये. पंचकुला से ले कर हरियाणा-पंजाब समेत दिल्ली और इससे जुड़े कुछ हिस्सों में हिंसा की घटनायें सामने आने लगी. कोर्ट के इस फ़ैसले का स्वागत करते हुए 73 साल की एक महिला आंखों में आंसू और होंठों पर मुस्कान लिए हुए कहती हैं कि ‘इसने बहुत समय लगाया, मैं तो न्याय पर यकीन करना भी छोड़ चुकी थी.’ ये वही महिला हैं, जिनकी बेटी बाबा के यौन शोषण का शिकार हुई थी. 2002 में महिला का एकलौता बेटा भी बाबा की सच्चाई उजागर करते हुए उनके एक समर्थक द्वारा मार दिया गया था. बाबा के करोड़ों समर्थकों के सामने भी ये महिला डट कर खड़ी रही और तमाम तरह की धमकियों के बावजूद इस मामले से नहीं हटी. ये वही समर्थक हैं, जिनकी वजह से अभी हाल ही में हरियाणा-पंजाब के अंदर हुई हिंसा में 30 लोग मारे गए.

इस परिवार के लगभग सभी बाबा राम रहीम सिंह के भक्त हुआ करते थे, जिसमें लड़की का भाई भी शामिल था, पर जैसे ही बहन के साथ यौन शोषण की घटना का पता चला उसने भी खुद को डेरे से अलग कर लिया. मृतक भाई की पत्नी का कहना है कि ‘इस फ़ैसले ने न्यायपालिका में हमारी श्रद्धा को बढ़ाया है. काश कि इस दिन को पिताजी भी देख पाते.’ ऐसा कहते हुए वो अपने ससुर को याद करती है, जो 35 सालों तक गांव में डेरा के मुख्य रहे थे, पर पिछले साल बाबा के ख़िलाफ़ कोर्ट में केस लड़ते हुए उनकी जान चली गई थी.

अपने पति के बारे में महिला का कहना है कि ‘उनकी बाबा में अटूट श्रद्धा थी. यहां तक कि डेरा प्रमुख के लिए उन्होंने घर में एक अलग कमरा भी बनवाया हुआ था, पर उन्हें एहसास हो गया कि उन्होंने अपनी ज़िंदगी डेरे के पीछे बर्बाद कर दी.’

इसी केस में एक दूसरी लड़की के घर वालों का कहना है कि ‘पुलिस से ले कर समर्थकों ने हम पर कई तरह के दवाब बनाये. उन्होंने हमें नौकरी से ले कर पैसे तक का प्रलोभन दिया.’

परिवार का कहना है कि ‘इस बात को ले कर हम मीडिया हाउस तक भी गये, पर किसी ने भी डेरे के ख़िलाफ़ ख़बर छापने की हिम्मत नहीं दिखाई.’ पीड़िता की एक बहन ने बताया कि कैसे उसकी बहन साध्वी बनी. अपनी दो बेटियों और भाई पर नज़र रख कर वो डेरे में सेवा करती थी. परिवार का कहना है कि ‘हम जानते हैं इस लड़ाई का कोई अंत नहीं है, पर हमें ईश्वर में विश्वास है. हम जानते हैं कि हम डेरे के सामने नहीं टिक सकते, पर हम ये भी जानते हैं कि ईश्वर से बढ़ कर कोई नहीं है. चाहे फिर वो कोई Messenger of God ही क्यों न हो!’

आपको ये भी पसंद आएगा
मिलिए Chandrayaan-3 की टीम से, इन 7 वैज्ञानिकों पर है मिशन चंद्रयान-3 की पूरी ज़िम्मेदारी
Chandrayaan-3 Pics: 15 फ़ोटोज़ में देखिए चंद्रयान-3 को लॉन्च करने का गौरवान्वित करने वाला सफ़र
मजदूर पिता का होनहार बेटा: JEE Advance में 91% लाकर रचा इतिहास, बनेगा अपने गांव का पहला इंजीनियर
कहानी गंगा आरती करने वाले विभु उपाध्याय की जो NEET 2023 परीक्षा पास करके बटोर रहे वाहवाही
UPSC Success Story: साइकिल बनाने वाला बना IAS, संघर्ष और हौसले की मिसाल है वरुण बरनवाल की कहानी
कहानी भारत के 9वें सबसे अमीर शख़्स जय चौधरी की, जिनका बचपन तंगी में बीता पर वो डटे रहे