किसानों के देश में किसानों की सुनने वाला कोई नहीं. फसल बेचने के लिए खड़े किसान की हुई मृत्यु

Sanchita Pathak

मध्य प्रदेश के विदिशा ज़िले में एक किसान ने अपनी ज़िन्दगी गंवा दी. वजह? चने की तुलाई की लाइन.

65 वर्षीय मूलचंद चने लेकर लटेरी मंडी पहुंचा. 4 दिन तक खड़े रहने के बावजूद तुलाई नहीं हो पाई. तपती धूप में खड़े-खड़े मूलचंद की मृत्यु हो गई. मूलचंद 4 दिनों से मंडी में ही रह रहा था.

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, मृतक के बेटे नर्मदा प्रसाद का कहना है कि बहुत से किसान फसल की तुलाई के इंतज़ार में खड़े थे. तपती धूप में अपनी बारी का इंतज़ार करना और मुश्किल हो गया था.

रिपोर्ट्स के अनुसार, बृहस्पतिवार को सुबह 6 बजे मूलचंद बाथरूम जाकर अपने ट्रैक्टर के पास लौटा और वहीं चक्कर खाकर गिर पड़ा. मौके पर ही उसकी मृत्यु हो गई.

मूलचंद की मृत्यु के बात मंडी मे हंगामा हो गया. किसानों की भीड़ ने मृतक को घेर लिया. मूलचंद की मृत्यु के घंटेभर बाद ही पुलिस मौके पर पहुंच गई. एसडीएम ए.के.माझी और तहसीलदार शत्रुघ्न सिंह चौहान घटनास्थल पर पहुंचे, जहां किसानों का गुस्सा उन पर फूट पड़ा. किसानों ने विरोध शुरू कर दिया और मंडी के दरवाज़े बंद करने की नौबत आ गई. अन्य किसानों ने प्रशासन के सामने कुछ मांगें रखी. किसानों ने मूलचंद के परिवार को 10 लाख रुपये मुआवज़े के तौर पर देने की मांग की है. तहसीलदार, शत्रुघ्न सिंह चौहान ने तत्कालीन रूप से परिवार को 4 लाख रुपये मुआवज़ा देने की घोषणा कर दी.

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, इस मंडी में 4 दिनों से 100 से ज़्यादा ट्रैक्टर लगे हैं और तकरीबन 400 से ज़्यादा किसान अपने फसल की तुलाई के लिए आए हैं.

मूलचंद की मौत दुखद है और प्रशासन पर कई सवाल भी करती है. मंडी प्रशासन के अधीन है, फिर भी यहां तुलाई के लिए सिर्फ़ 8 कांटे हैं. किसानों के ठहरने और गर्मी से राहत की ढंग से व्यवस्था नहीं है.

अजीब बात है, अन्नदाता का हम ख़्याल नहीं रख पा रहे और हम एक विकसित राष्ट्र का सपना देख रहे हैं.

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