लॉकडाउन का गंगा नदी पर पड़ा पॉज़िटिव इम्पैक्ट, वैज्ञानिकों का दावा- ‘अब पीने लायक हुआ पानी’

Abhay Sinha

कोरोना वायरस के चलते इंसान घरों में बंद है. ऐसे में प्रकृति को एक बार फिर खिलने का अवसर मिल गया है. भारत समेत दुनियाभर के शहरों में जंगली जानवरों के सड़क पर आज़ाद घूमने की ख़बरे पिछले दिनों आ चुकी हैं. अब नदियां भी संरवने लगी है. 

रिपोर्ट्स के मुताबिक़, वैज्ञानिकों ने गंगा नदी के पानी की गुणवत्ता में सुधार होने का दावा किया है. उनका कहना है कि पानी इतना साफ़ है कि उसे पिया तक जा सकता है. 

IIT-BHU के एक प्रोफ़ेसर ने इंटरव्यू के दौरान कहा, ‘गंगा में प्रदूषकों का दसवां हिस्सा उद्योगों, आसपास के होटलों और अन्य स्रोतों से आता है. इन सभी के बंद होने से पानी की गुणवत्ता में चालीस से पचास फ़ीसदी तक सुधार हुआ है.’ 

साथ ही पिछले कुछ हफ़्तों में भारी बारिश के कारण पानी का स्तर भी ऊपर आया है. 

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सरकार ने करोड़ों रुपये गंगा नदी के जल को साफ़ करने के लिए पानी की तरह बहा दिए. लेकिन परिणाम कभी सकारात्मक नहीं रहे. हालांकि, बस कुछ दिन के लिए इंसान घर में क्या क़ैद हुए बाहर ‘बहार’ आज़ाद हो गई. 

ख़ैर इतने सालों में जो नहीं हुआ, उसे अब अपने सामने होता देख लोग यक़ीन नहीं कर पा रहे हैं. लोग कुछ इस तरह रिएक्ट कर रहे हैं. 

लॉकडाउन के कारण गंगा नदी के साथ ही हरिद्वार के घाट भी साफ़ हो गए हैं. लॉकडाउन का पर्यावरण पर पॉज़िटिव इम्पैक्ट देखने को मिल रहा है. उम्मीद है कि जब हम बाहर निकलेंगे तो ये प्रकृति वापस से डर के सिमट नहीं जाएगी. 

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