बिल्कुल फ़िल्मी लगने वाली ये कहानी, गीता की ज़िंदगी की हक़ीक़त है.
इस बीच आख़िरकार 5 साल बाद गीता अपनी मां से मिल ही गई हैं. मीना पंधारे नाम की एक महिला ने साबित किया कि, गीता उनकी बेटी है. गीता के पेट पर एक निशान था जिससे ये साबित हुआ कि मीना ही उसकी मां है.
Free Press Journal की रिपोर्ट के अनुसार, आनंद सेवा संस्थान की मोनिका पुरोहित ने बताया कि, मीना एक ग़रीब दीया विक्रेता है इसलिए गीता उन्हें अपनाने में हिचकिचा रही है. आनंद फ़िलहाल गीता के होस्ट पैरेंट है. हालांकि, गीता DNA टेस्ट करवाने से भी हिचकिचा रही है क्योंकि उसे डर है कि टेस्ट में मैच साबित हो गया तो उसकी ज़िन्दगी बदल जाएगी.
गीता को वीआईपी ट्रीटमेंट मिल रहा है. वो नेताओं के साथ फ़्लाइट में घूम रही है तो एक मिट्टी का दीया विक्रेता की बेटी बनना उसके लिए मुश्किल होगा.
-मोनिका पुरोहित
गीता परभणी, महाराष्ट्र के एक गांव में पैदा हुई. वहां उसका परिवार एक फ़ार्म की देखभाल करता था, उसे लगता था कि वो फ़ार्म उसी का है.
-मोनिका पुरोहित
मोनिका ने ये भी बताया कि, गीता और पंधारे परिवार का लोकेशन, अनुभव सबकुछ मैच कर चुका है. गीता की मां हिन्दी नहीं पढ़ सकती, न ही समझ सकती. जब ख़बर मराठी में छपी तब गीता की मां को पता चला. गीता को महाराष्ट्र के एक स्किल डेवलपमेंट कैम्प में भेजा गया है, जहां वो अपने बायलोजिकल फ़ैमिली से मिल सकेगी.