जब कोई होली के नाम गुब्बारों में वीर्य भर कर मारे, तो बुरा मानो… क्योंकि ये घिनौना है

Sumit Gaur

होली रंगों के साथ-साथ हल्की-फुल्की मस्ती का त्यौहार है, जो हर तरह के गिले-शिकवे भुला कर दूरियां मिटाने का काम करता है. इसी मस्ती की आड़ में कुछ लोग इतने नीचे गिर जाते हैं, जिसकी सभ्य समाज में न तो कोई जगह है और न ही होनी चाहिए.

होली के दिनों में गली मौहल्ले में पानी के गुब्बारे मारना आम है, जिसे ले कर बच्चों में भी ख़ासा क्रेज़ है. हालांकि बच्चों की इस मस्ती में कई बार बड़े भी शामिल होते हैं, पर शायद उन्हें अंदाज़ा होता है कि इस तरह का खेल किसके साथ खेलना है और किसके साथ नहीं. हालांकि इन्हीं पानी वाले गुब्बारों का इस्तेमाल करके कुछ असामाजिक तत्व इतना नीचे गिर चुके हैं कि उनकी शर्मनाक हरकत को बयां करने लिए लिए शब्द ही ख़त्म हो गए हैं.

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दरअसल हाल ही में गुरमेहर कौर ने एक इंस्टाग्राम स्टोरी शेयर की, जिसमें उन्होंने अपने कॉलेज की एक साथी का वाकया बताया. इसके वाकये के मुताबिक, उनकी साथी ने बताया कि

‘मैं कॉलेज से घर के लिए निकली थी कि किसी ने पानी से भरा गुब्बारा मेरे कूल्हों पर मारा. गुब्बारा इतनी तेज़ मारा गया था कि लगते ही फट गया और पानी से मेरी कुर्ती और पायजामा गीला हो गया. गुब्बारे के फटने के साथ ही मेरे कपड़ों से एक अजीब तरह की बदबू आने लगी, जिससे ये साफ़ था कि गुब्बारे में पानी, तो बिलकुल भी नहीं था. पहले मुझे समझ नहीं आया कि ये किस चीज़ की बदबू है, पर बहुत ही जल्द मुझे समझ आ गया कि ये कुछ और नहीं, बल्कि वीर्य/ Semen था.’

ये कहानी यही ख़त्म नहीं हुई. गुरमेहर द्वारा इस पोस्ट को शेयर करने के बाद Drishhhhh नाम की एक इंस्टाग्राम यूज़र ने भी अपना वाकया शेयर किया. इसमें उसने बताया कि

‘मेरा सफ़ेद कुर्ता किसी को ये हक नहीं देता कि वो मुझ पर गुब्बारा मारे. एक लड़की यदि सड़क पर अकेली चल रही है, तो वो किसी को ये हक़ नहीं देती कि कोई उसके शरीर को छू कर होली खेले.शाम 3:58 बजे मैं इसी पोस्ट को पढ़ते हुआ जा रही थी कि अचानक मेरे बैक पर किसी ने गुब्बारा मारा और किसी ने कहा ‘हैप्पी होली’. कुछ समय के लिए मैं समझ नहीं पाई कि आखिर मेरे साथ क्या हुआ है? मैं ख़ुद को असहाय महसूस करने लगी थी. मेरे दिमाग़ में चल रहा था कि अगर वो मेरे पीछे आये, तो मैं क्या करूंगी? क्या मैं चिल्लाऊं?अब मौका है कि मुझे शांत नहीं रहना. मैं नहीं चाहती कि मैं अब और भागूं. मैं अब नहीं भागना चाहती, मैं अब बोलूंगी. गुब्बारे में वीर्य भरकर फेंक कर तुम कौन-से मर्द बन जाओगे? मुझे लगता है कि त्यौहार को इस तरह की घिनौनी हरकत के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए. ‘बुरा न मानो होली है’ के कॉन्सेप्ट को बैन कर देना चाहिए, क्योंकि इससे हमें बुरा लगता है, हमें बुरा लगता है, जब तुम्हारे जैसे मर्द ऐसी हरकतें करते हैं.’

होली रंगों और खुशियों का त्यौहार है. इस त्यौहार में ऐसी घिनौनी हरकत करने वाले लोगों को समझना चाहिए कि आखिर वो भी किसी लड़की के भाई हैं.

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