देश की राजधानी दिल्ली पिछले कुछ सालों से लगातार भयंकर प्रदूषण की समस्या से जूझ रही है. हर साल आस-पास के राज्यों में पराली जलाने और धूल भरी आंधी-तूफ़ान की वजह से दिल्ली का वातावरण ख़राब हो रहा है. यही कारण है कि दिल्ली दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक हैं.
लेकिन अब इस समस्या से बचने के लिए दिल्ली सरकार ने एक नई तरकीब ढूंढ निकाली है. सरकार ने इस मॉनसून के दौरान दिल्ली के बाहरी इलाक़ों में पेड़ों की एक ऐसी दीवार बनाने की ठान ली है, जो धूल और आंधी-तूफ़ान को रोकने का काम करेगी.
इसका मतलब ये कि अब दिल्ली वाले भी चैन की सांस ले पाएंगे. लेकिन पेड़ों की इस दीवार को बनने में अभी कुछ साल लग जायेंगे. सरकार ने इस साल की शुरुआत में दिल्ली में क़रीब 28 लाख पौधे लगाने की योजना बनाई थी, जिसे बढ़ाकर 32 लाख कर दिया गया है. ये सभी पौधे दिल्ली के बाहरी इलाक़ों जैसे जसोला, तुग़लकाबाद, आयानगर, नरेला, सौदा, घेवरा और यमुना क्षेत्र में लगाए जायेंगे. इसके तहत अधिक मात्रा में पीपल, नीम, आंवला, जामुन, आम, महुआ, पिलखान और गोलर जैसे पेड़ों को चुना गया है.
‘दिल्ली वन विभाग’ इस साल के अंत तक इस महत्वाकांक्षी योजना को पूरा करने प्लान बना रहा है. इसकी शुरुआत इसी महीने की 7 जुलाई को औपचारिक रूप से लॉन्च करके की गयी है. दिल्ली विकास प्राधिकरण, केंद्रीय लोक निर्माण विभाग, दिल्ली मेट्रो रेल निगम, सरकारी एजेंसियों और दिल्ली नगर निगम भी राष्ट्रीय राजधानी के अपने-अपने संबंधित क्षेत्रों में इस परियोजना को लागू करेंगे.
कई सरकारी एजेंसियों ने तो इस परियोजना पर काम करना भी शुरू कर दिया है. डीडीए अब तक करीब 10 लाख पौधे, जबकि वन विभाग क़रीब 4.22 लाख पौधे लगा चुके हैं.
सरकार की योजना के मुताबिक़, प्रत्येक एजेंसी अपने क्षेत्र में दो साल तक लगाए गए पौधों की देखभाल करेगी. जिसके बाद एक स्वतंत्र एजेंसी इन पेड़ों के जीवित रहने की दर की जांच करने के लिए एक Survival Audit करेगी. ये ऑडिट साल 2019 में देहरादून स्थित Forest Research Institute द्वारा किया जायेगा और इसकी रिपोर्ट 2020 तक तैयार होगी.
अगर दिल्ली सरकार इस महत्वाकांक्षी योजना को इस साल के अंत तक पूरा कर लेती है, तो अगले 4 से 5 सालों में दिल्ली प्रदूषण मुक्त हो सकती है. फिर शिमला के मज़े दिल्ली में भी मिलने लगेंगे.