ख़ुशियों की पाठशाला: जहां वंचित बच्चों को मुफ़्त में पढ़ा कर आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश की जा रही है

Nripendra

Gurukulam – khushiyon wala school in Hindi: इंसान का जीवन में आगे न बढ़ पाने का सबसे बड़ा कारण है ग़रीबी, क्योंकि एक ग़रीब इंसान जो भी कुछ कमाता है उसका एक बड़ा हिस्सा वो अपनी दैनिक ज़रूरतों को पूरा करने में ख़र्च कर देता है. ऐसे में बहुत से ग़रीब मां-बाप बच्चों की प्राथमिक शिक्षा के विषय में भी सोच नहीं पाते हैं. 

वहीं, सरकारी नि:शुल्क शिक्षा कार्यक्रमों से अलग देश में कई समाजसेवी ऐसे हैं, जो शिक्षा से वंचित बच्चों के बारे में सोचते हैं और अपने जीवन का एक उद्देश्य उन बच्चों को शिक्षित करने में गुजार देते हैं. इस लेख में हम ऐसे ही एक युवा समाजसेवी के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, जिन्होंने वंचित बच्चों को शिक्षित करने के लिए ‘खुशियों की पाठशाला’ शुरू की है. 

आइये, विस्तार से जानते हैं कौन हैं ये शख़्स और क्या है ‘खुशियों की पाठशाला’ 

कानपुर का अनोखा स्कूल  

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Gurukulam – khushiyon wala school in Hindi: कानपुर करने रहने वाले 31 वर्षीय सचान कानपुर के इस अनोखे स्कूल को चलाते हैं, जिसका ऐसे तो नाम ‘गुरुकुलम’ है, लेकिन ये ‘खुशियों की पाठशाला’ के नाम से ज़्यादा जाना जाता है. इस अनोखे स्कूल की नींव और इस ख़ूबसूरत पहल के कर्ता-धर्ता सचान ही हैं, जो एक युवा हैं और एक बड़ी सोच के धनी हैं. वर्तमान में सचान इस स्कूल के ज़रिये क़रीब 150 वंचित बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं. 

स्कूल खोलने का ख़्याल क्यों आया? 

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Gurukulam School in Kanpur in Hindi: हर काम के पीछे कोई न कोई वजह ज़रूर होती है. इस ख़ूबसूरत पहल के पीछे भी एक बड़ी और गंभीर वजह है. सचान ने ग़रीबी बचपन से देखी है. उन्होंने देखा है कि कैसे उनके पिता ने उनकी स्कूल की फ़ीस भरने के लिए कड़ी मेहनत की. वहीं, परिक्षाओं में उन्होंने टॉप भी किया, लेकिन क्रिटिकल थिंकिंग व निर्णायकता की कमी की वजह से उनका किसी कंपनी में चयन न हो सका. इस वजह वो आइस फैक्ट्रीज़ और होटलों में काम करने पर मज़बूर हो गए. 

इस बीच उन्हें कई बार लगा कि उनकी एजुकेशन और उनके पिता की कड़ी मेहनत व्यर्थ गई है. फिर उन्होंने फैसला लिया कि वो अपनी शिक्षा को समाज के काम में लगाएंगे. इस दौरान उन्होंने देखा कि झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले कई परिवार अपने बच्चों को प्राथमिक शिक्षा भी नहीं दे पा रहे हैं. ग़रीबी के कारण बीमारियों से जूझ रहे हैं और साथ ही कई अन्य तकलीफ़ों से गुज़री रहे हैं. 

सचान ने उसी वक़्त फैसला लिया कि वो एक ऐसा स्कूल बनाएंगे जो ख़ुशियां बांटेगा और जहां वंचित बच्चे निशुल्क पढ़ पाएंगे. 

5 बच्चों से शुरू हुआ सफ़र 

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Khushiyon wala school in kanpur in Hindi: सचान ने मुफ़्त शिक्षा का सफ़र 2019 में 5 बच्चों को फ़्री कोचिंग से शुरू किया. हालांकि, ये सफ़र उतना आसान नहीं था, क्योंकि एक सामान्य इंसान के लिए स्कूल खोलना उतना आसान नहीं. 

धीरे-धीरे उनकी कोचिंग में झुग्गियों से भी बच्चे आने लगे. 5 से 10 और 10 से 70. संख्या बढ़ती चली गई. इसके बाद 2021 में उन्होंने एक कमरा किराए पर लिया और और इस तरह उन्होंने नींव रखी गुरुकुलम की यानी ख़ुशियों वाले स्कूल की. वर्तमान में यहां क़रीब 150 बच्चों को निशुल्क शिक्षा मिल रही है. साथ ही उन्होंने पढ़ाने के लिए एक नहीं बल्कि तीन टीचर हैं. 

सिर्फ़ पढ़ाई ही नहीं, मिलती है आत्मनिर्भर बनने की ट्रेनिंग

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Free Education in Gurukulam in Kanpur Hindi: इस स्कूल की ख़ास बात ये है कि यहां बच्चों को सिर्फ़ शिक्षा ही नहीं, बल्कि भविष्य में आगे बढ़ने के लिए आत्मनिर्भर भी बनाया जाता है, ताकि बच्चे अपने भाग्य का निर्माण ख़ुद कर सकें.  

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यहां बच्चों को ज़रूरी शिक्षा के साथ-साथ बिज़नेस स्किल्स, मॉरल स्टडीज़, लाइफ़ हैक्स, थिएटर जैसे प्रैक्टिकल विषयों का भी ज्ञान दिया जाता है. साथ ही बच्चों के खेल-कूल पर भी ध्यान दिया जाता है. इसके अलावा, सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित करवाए जाते हैं. 

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