‘मैं, मेरा ऑटो और मेरा डॉगी’, मानवता की मिसाल है पुणे के ऑटोचालक हरविंदर सिंह की क्यूट कहानी

Sanchita Pathak

हम अपने घरों पर कई तरह के पेट्स रखते हैं. डॉगी, बिल्ली, खरगोश, पंछी आदि. सबसे मुश्किल होता है इन्हें घर पर छोड़कर जाना, ख़ासकर डॉगीज़ को. इंटरनेट पर ऐसे बहुत से वीडियोज़ मिल जाएंगे, जहां डॉगी अपने इंसान दोस्त को घर से जाता देख अति मायूस हो जाता है.

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एक तरफ़ हमारे सामने जानवरों के साथ बद् से बद्तर सुलूक की ख़बरें आती हैं, वहीं ऐसी ख़बरों से भी हमारा सामना होता जो उम्मीद क़ायम रखती है. ऐसी ही एक कहानी हमें फ़ेसबुक पर मिली. 


मंजरी प्रभु ने एक ऑटोरिक्शा चालक की कहानी शेयर की, जो किसी का भी दिन बना देगी.

फ़ेसबुक पोस्ट में मंजरी ने लिखा कि पुणे के ऑटोचालक, हरविंदर सिंह अपने डॉगी को अकेले छोड़कर काम पर नहीं जाते हैं और उसे साथ ले जाते हैं. 

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मंजरी ने जब ऑटो लिया तब उसे ड्राइवर सीट के बगल में प्यारा सा डॉगी दिखा. ऑटोचालक से बात-चीत करने पर पता चला कि डॉगी का नाम रॉनी है. 

हरविंदर ने बताया कि उनका बेटे डॉगी को घर ले आया था लेकिन अब उसका ख़याल रखने वाला कोई नहीं था और हरविंदर की ऑटोरिक्शा-ड्यूटी रहती है. डॉगी को अकेले छोड़ने की बजाए वो उसे अपने साथ ही लेकर चलते हैं. 
मंजरी ने पोस्ट में लिखा कि हरविंदर ने ऑटो में ही उसके खाने-पीने की व्यवस्था कर रखी थी.  

फ़ेसबुक पोस्ट पर लोगों की प्रतिक्रिया-

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