केदारनाथ वैली के स्कूलों में हेलीकॉप्टर कंपनियां बनवा सकती हैं ‘Sound Proof’ क्लासरूम

Sumit Gaur

2013 में कदरनाथ घाटी में आयी बाढ़ के बाद से ही यहां हेलीकॉप्टर की आवाजाही बढ़ी है, जिसकी वजह से शांत से रहने वाली जगह में शोर बढ़ा है. इस शोर का असर बच्चों की पढ़ाई पर भी पड़ा है. हेलीकॉप्टर के शोर में लोगों के सोने के साथ ही बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है.

इसी बात को ध्यान में रखते हुए रुद्रप्रयाग के डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन ने हेलीकॉप्टर उड़ाने वाली कंपनियों से पूछा है कि वो स्कूल में साउंड प्रूफ क्लास रूम का निर्माण करवाएं. कंपनियों के प्रतिनिधियों से बात करते हुए डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट मंगेश घिल्ड़ियाल ने इस बाबत सुझाव मांगा.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मंगेश ने कहा कि ‘एक स्कूल में ये कंपनियां दो या तीन ऐसी क्लास आराम से बनवा सकती हैं, जिससे बच्चों की पढ़ाई में किसी तरह की कोई रुकावट न हो.’

acousticalsolutions

2013 में आई बाढ़ के दौरान यहां करीब 5000 लोग मारे गए थे, जिसके बाद सोनप्रयाग से केदारनाथ तक के उबड़-खाबड़ रास्ते से बचने के लिए श्रद्धालु हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल करते हैं. स्थानीय निवासियों के मुताबिक यहां 13 कंपनियां इस बिज़नेस को संभालती हैं, जो बहुत नीचे उड़ते हुए अपना सफ़र तय करते हैं. इसकी वजह से यहां अत्याधिक शोर बढ़ा है.

इस बाबत NGT (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) राज्य सरकार और यूनियन मिनिस्ट्री फ़ॉर फ़ारेस्ट एंड एनवायरनमेंट को नोटिस भेजकर जवाब भी मांग चुका है.

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