टूट गई साहित्य और पत्रकारिता के बीच की अहम कड़ी, हिन्दी कवि और पत्रकार मंगलेश डबराल का निधन

Sanchita Pathak

हिन्दी के मशहूर कवि, पत्रकार मंगलेश डबराल की बीते बुधवार मृत्यु हो गई. वे 72 वर्ष के थे.  


Indian Express की रिपोर्ट के अनुसार, मंगलेश जी कोविड-19 से पीड़ित थे और दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेस में उनका इलाज चल रहा था. 

BBC

डबराल जी का जन्म 1948 में टिहरी गढ़वाल में हुआ था. 1960 के दशक में वे दिल्ली आ गये और Hindi Patriot, प्रतिपक्ष और आसपास अख़बारों में काम किया. इसके बाद वे भोपाल चले गए और उन्होंने पूर्वाग्रह के एडिटर के रूप में किया.  

डबराल जी को साहित्य और पत्रकारिता के रूप में बेहद अहम कड़ी के रूप में देखा जाता था. जनसत्ता अख़बार के रविवार मैगज़ीन ‘रविवारी’ के वे बेहद पॉपुलर एडिटर थे.

Amar Ujala

डबराल जी ने 5 काव्य संग्रह- पहाड़ पर लालटेन, घर का रास्ता, हम जो देखते हैं, आवाज़ भी एक जगह है और नये युग में शत्रू के अलावा 2 गद्य संग्रह- लेखक की रोटी, कवि का अकेलापन और एक यात्रा वृत्तांत- एक बार आयोवा लिखा है.  

उन्हें सन, 2000 में ‘हम जो देखते हैं’ के लिए साहित्य अकैडमी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था. 2015 में देश में छा रहे असिहष्णुता के बादल के विरोध में उन्होंने ये सम्मान वापस कर दिया था.  

Amar Ujala

डबराल जी की कविताओं को भारतीय ही नहीं रूसी, जर्मन, डच, स्पैनिश, पॉलिश, बुलगैरियन भाषाओं में ट्रांसलेट किया गया है. कुछ दिनों पहले उन्होंने अरुणधती रॉय की The Ministry of Utmost Happiness को हिन्दी में ट्रांसलेट किया था. ये किताब अपार ख़ुशी का घराना के नाम से उपलब्ध है.  

सोशल मीडिया पर कई लोगों ने डबराल जी के जाने पर शोक़ व्यक्त किया.  

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