अगर हम आज चैन से सो रहे हैं, तो इसके पीछे है हमारी सेना. दिन-रात मेहनत कर के हमारी रक्षा के लिए तत्पर रहने वाली सेना इसे अपना फ़र्ज़ मानती है. सीमा पर निगरानी करने वाले BSF जवान दुश्मनों के नापाक इरादों को रोकने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं.
इसका गठन
सीमा सुरक्षा बल को दुनिया के सबसे बड़े सीमा रक्षक बलों में गिना जाता है. जिसका गठन 1 दिसंबर 1965 में हुआ था.
ज़िम्मेदारी
इसकी जिम्मेदारी भारत की अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर निगरानी रखना, सीमा पर घुसपैठ जैसी वारदातों को रोकना है. BSF रेगिस्तान से लेकर बर्फ़ीले इलाकों तक फैली सरहद की सुरक्षा करती है.
दुनिया की बड़ी फोर्स
देश में अपनी बेहतरीन सेवाएं देने वाली यह फोर्स आज दुनिया की सबसे बड़ी बॉर्डर फोर्स में से एक है. BSF के पास सेना की जल, वायु और थल के रूप में तीन विंग है.
कुछ उपलब्धियां
- यह एकमात्र भारतीय अर्धसैनिक बल है, जिसकी ख़ुद की मरीन और एयर विंग भी है.
- BSF 1959 में शुरू ‘बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी’ में हिस्सा लेती आ रही है.
- यह हर शाम भारत-पाकिस्तान के राष्ट्रीय ध्वज उतारने का एक प्रोग्राम है.
- पाकिस्तान से सटी पश्चिमी सीमा पर पहरे के लिए भारत BSF पर निर्भर है. BSF के पास ऊंटों का एक दस्ता भी है.
- BSF राष्ट्रीय स्तर पर डॉग्स के लिए ट्रेनिंग स्कूल भी चलाती है.
- गुजरात के अंतिम छोर पर कच्छ के रण में BSF जवान आल टेरराइन व्हीकल्स (एटीवी) से पेट्रोलिंग करती है.
महिला जवान भी करती हैं पेट्रोलिंग
BSF में महिला जवानों को भी शामिल किया गया है. वे पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर बॉर्डर पर ड्यूटी करती हैं.
BSF में कुल 186 बटालियन है. करीब दो लाख से ज्यादा जवान दिन-रात सीमा की सुरक्षा करते हैं. हमें गर्व है अपने जवानों पर और उनके फौलादी इरादों पर.