इस दुनिया में 200 से ज़्यादा देश हैं. कुछ बहुत पुराने हैं, तो कुछ बेहद नए. हालांकि, बहुत कम सुनने को मिलता है कि कोई नया देश अस्तित्व में आया हो. मगर जब भी आता है, तो ज़हन में ये सवाल ज़रूर उठता है कि आख़िर कैसे कोई क्षेत्र नए देश के रूप में मैप पर अपनी जगह बना लेता है.
ऐसे में आज हम आपको इसी सवाल का जवाब देंगे कि आख़िर कैसे एक नया देश बनता है और उसके लिए किन-किन चीज़ों की ज़रूरत होती है?
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कैसे बनता है एक नया देश?
अंतर्राष्ट्रीय कानून विशेषज्ञों के अनुसार, किसी देश को तभी मान्यता मिल सकती है, जब उसके पास एक निश्चित क्षेत्र हो, आबादी हो, सरकार हो और संप्रभुता के आधार पर दूसरे देशों के साथ संबंध बनाने की क्षमता हो. 26 दिसंबर 1933 को साइन किए गए मोंटेवीडियो कन्वेंशन में भी यही बात कही गई है.
एक निर्धारित क्षेत्र और उसमें रहने वाली स्थायी आबादी
किसी भी देश की स्थापना के लिए उसके पास एक ‘परिभाषित’ क्षेत्र होना चाहिए. इसका मतलब है कि उसकी निश्चित सीमाए होनी चाहिएं. ख़ास बॉर्डर होना चाहिए, जिस पर कोई दूसरा देश अपना दावा नहीं करता हो. इसके अलावा, इस ख़ास क्षेत्र में स्थायी आबादी का होना भी आवश्यक है और वहां के लोग उस ‘राष्ट्र’ की अवधारणा में विश्वास भी रखते हों. ये भी ध्यान में रखा जाता है कि बहुमत से मूल देश से अलग होने का फ़ैसला हुआ हो.
संप्रभु राज्य की एक सरकार होनी चाहिए
नया देश घोषित करने के लिए वहां एक स्थिर और प्रभावी सरकार का होना भी ज़रूरी है, जो दुनिया के अन्य देशों की सरकार से बात करने में सक्षम हो. साथ ही, उसका ‘संप्रभु राज्य’ होना भी ज़रूरी है. संप्रभुता से मतलब है कि एक ऐसा राज्य जो किसी के अधीन नहीं है और अपने अंदरूनी और बाहरी निर्णयों के लिए दूसरे देशों या सत्ता पर निर्भर नहीं है.
तो क्या इतना हो जाने से कोई नया देश बन जाता है?
नहीं. नया देश बनाने के लिए ये सब चीज़ें तो चाहिए हीं, पर साथ में दुनिया के दूसरे देशों और संयुक्त राष्ट्र से भी मान्यता लेनी पड़ती है. यानि किसी देश की मान्यता दूसरे देशों पर निर्भर करती है. इस पर कि कितने देश उसे एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में देखते हैं और वहां के नागरिकों को वीज़ा देते हैं.
साथ ही, यूएन से मान्यता मिलने से उसे काफी हद तक अलग देश मान लिया जाता है. यूएन वहां की जनता के अधिकारों और उनकी इच्छा, सीमा के आधार पर अलग देश का फ़ैसला लेता है. यूएन से मान्यता लेने के लिए आवेदन करना होता है, जिस पर ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ की मीटिंग में फ़ैसला होता है. अगर ये काउंसिल उस नए देश को मान्यता दे देती हैं, तभी असली मायनों में उस देश की अंतराष्ट्रीय उपस्थिति दर्ज होती है.
‘अंतराष्ट्रीय मान्यता’ मिलने के कई फ़ायदे भी हैं. मसलन, नए देश को अंतराष्ट्रीय कानून का संरक्षण मिल सकता है, विश्व बैंक और IMF से लोन मिल सकता है, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और वैश्विक आर्थिक तंत्र तक उसकी पहुंच बन सकती है, और उसके सीमा क्षेत्र की बेहतर सुरक्षा हो सकती है.