एथलेटिक्स में Gold लायी तो क्या हुआ, लोगों को हिमा दास की जाति पता करने में ज़्यादा इंटरेस्ट है

Akanksha Tiwari

पिछले कुछ दशकों में देश ने काफ़ी तरक्की की है, लेकिन अफ़सोस सोच के मामले में आज भी हम बहुत पीछे हैं. शादी-ब्याह हो या जॉब, हर जगह जाति-धर्म सबसे पहले आता है. हद तो तब हो जाती है, जब लोग इस मामले में देश के खिलाड़ियों को भी नहीं छोड़ते.

बीते गुरुवार को असम की रहने वाली हिमा दास ने आईएएएफ़ विश्व अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 400 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक हासिल कर, नया इतिहास रच दिया. इसके साथ ही ऐसा कारनामा करने वाली वो पहली भारतीय बन गई हैं. पर अफ़सोस इस मौके पर जश्न मानने के बजाए, कुछ लोग गूगल पर 18 साल की इस खिलाड़ी की जाति सर्च कर रहे हैं. 

रिपोर्ट के अनुसार, गूगल पर सीमा की जाति पता करने वाले ज़्यादातर लोग केरल, कर्नाटक, असम, बंगाल और हरियाणा के थे. सर्च इंजन में ‘Hima Das Caste’ सबसे टॉप पर था. हांलाकि, ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब किसी खिलाड़ी की उपालब्धि के बाद लोग उसकी जाति सर्च करने में लगे हैं. 2016 रियो ओलंपिक के दौरान पी.वी. सिंधु और साक्षी मलिक के साथ भी ऐसा ही हुआ था. इन दोनों ने ओलंपिक में सिल्वर और कांस्य पदक हासिल किया था.

वाकई देश के लोगों की ऐसी मानसिकता कहीं न कहीं हमें पीछे ढकलेती है. देश का प्रतिनिधित्व करने वाले इन खिलाड़ियों को उनके खेल के लिए जानना चाहिए, न कि उनकी जाति के लिए. हमें हिमा दास पर गर्व है!

Source : Indiatimes

आपको ये भी पसंद आएगा
मिलिए Chandrayaan-3 की टीम से, इन 7 वैज्ञानिकों पर है मिशन चंद्रयान-3 की पूरी ज़िम्मेदारी
Chandrayaan-3 Pics: 15 फ़ोटोज़ में देखिए चंद्रयान-3 को लॉन्च करने का गौरवान्वित करने वाला सफ़र
मजदूर पिता का होनहार बेटा: JEE Advance में 91% लाकर रचा इतिहास, बनेगा अपने गांव का पहला इंजीनियर
कहानी गंगा आरती करने वाले विभु उपाध्याय की जो NEET 2023 परीक्षा पास करके बटोर रहे वाहवाही
UPSC Success Story: साइकिल बनाने वाला बना IAS, संघर्ष और हौसले की मिसाल है वरुण बरनवाल की कहानी
कहानी भारत के 9वें सबसे अमीर शख़्स जय चौधरी की, जिनका बचपन तंगी में बीता पर वो डटे रहे