अनाज बैंक: भुखमरी की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए वरदान. यहां अनाज के रूप में मिलता है लोन

Kratika Nigam

आपने अभी तक रुपए, जेवर और प्रॉपर्टी पर लोन देने वाले बैंक का नाम सुना होगा, पर अब एक और बैंक आ गया है, जो अनाज लोन पर देगा. इस बैंक का नाम है ‘अनाज बैंक’. इस बैंक का मेंबर सिर्फ़ 1 किलो चावल देकर बन सकते हैं. इस बैंक का उद्देश्य देश से भुखमरी को ख़त्म करना है.

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दरअसल, इलाहाबाद ज़िले के कोरांव और शंकरगढ़ के गांवों के कई लोग भुखमरी की समस्या से जूझ रहे थे. इनमें ज़्यादातर लोग कोल और मुसहर जनजाति के हैं. इस समुदाय की भुखमरी की समस्या को ख़त्म करने के लिए यहां ‘अनाज बैंक’ को खोला गया. इसके बनने के बाद से इन गावों का कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं सोता है.

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किसने बनाया ये ‘अनाज बैंक’

अनाज बैंक खोलने का ये आइडिया इलाहाबाद के रहने वाले सुनीत सिंह ने दिया था. सुनीत ने एक स्थानीय एनजीओ प्रगति वाहिनी फ़ाउंडेशन द्वारा चलाए जाने वाले सेल्फ़ हेल्प ग्रुप (SHG) के सामने ये आइडिया रखा था. सुनीत जीबी पंत इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज़ झुसी में प्रोफ़ेसर हैं.

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कैसे काम करता है बैंक

SHG की ओर से हर गांव में 300 किलोग्राम क्षमता वाला बड़ा ड्रम रखवाया गया है, जिसमें अनाज भरा होता है. इन गांवों में जब भी लोगों को चावल की ज़रूरत होती है, वो यहां से ले सकते हैं.

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कैसे बना जाए इसका सदस्य

इस बैंक का सदस्य कोई भी व्यक्ति एक किलो चावल देकर इस बन सकता है. ज़रूरत पड़ने पर वो पांच किलो चावल इस बैंक से उधार ले सकता है, जिसे 15 दिनों के अंदर लौटाना होता है. इस पर उन लोगों से कोई ब्याज नहीं लिया जाता है.

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The Ecnomistimes Times के अनुसार, सुनीत सिंह और उनके साथियों का कहना है कि इस अनाज बैंक को ज़िले के अन्य ब्लॉकों में भी खोलने की योजना बनाई है, जिसके लिए एक ख़ास संगठन ‘भूख से मुक्त इलाहाबाद’ भी बनाया गया है. ये अभियान 22 सितंबर से शुरू होगा. 2011 की जनगणना के मुताबिक, इन ब्लॉकों में करीब 10,000 वनवासी समुदाय जैसे मुसहर, दहिकर और नट रहते हैं. अभी तक ये अनाज बैंक करीब 20 गांवों में पहुंच गया है, जिससे करीब 300 परिवारों को मदद मिल रही है.

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ये संगठन दान में दिया चावल जमा करेगा और गांवों में ड्रम रखवा देगा ताकि किसी को भूखे न सोना पड़े. इस बैंक को शुरू करने का उद्देश्य यूनाइटेड नेशंस के 2030 तक ‘Zero Hunger World’ के लक्ष्य को हासिल करना है

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