हैदराबाद जैसे अपनी ऐतिहासिक इमारत चारमीनार और स्वादिष्ट व्यंजन हैदराबादी बिरियानी के लिए फेमस है, वैसे ही अब ये एक और चीज़ के लिए जाना जाएगा. वो है, यहां बना अपने आप में पहला ‘Recycled’ बस स्टॉप. इस बस स्टॉप को बनाने के लिए काफी समय से प्रयास किये जा रहे थे और कई असफलताओं के बाद आखिरकार ये बस अड्डा बनकर तैयार हो गया. इसकी खासियत ये है कि इसको प्लास्टिक की बेकार बोतलों से को रीसायकिल करके बनाया गया है.
हैदराबाद के उप्पल इलाके में स्थित स्वरूपनगर कॉलोनी में रहने वाले निवासियों ने ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (GHMC) के पास इस इलाके में स्थित लोकल बस स्टॉप के लिए छत या शेल्टर बनाने के लिए कई अनुरोध पत्र भेजे और वहां जाकर भी अधिकारियों से भी रिक्वेस्ट की. लेकिन उनके अनुरोधों का सरकारी अधियकारियों पर कोई असर नहीं पड़ा या यूं कह लो कि उनके कान पर जूं तक नहीं रेंगी और वो बहरों की तरह बैठे रहे. मगर किसी और ने उनकी इस फ़रियाद को सुना. एक स्थानीय सामाजिक संस्था ने इस बस स्टॉप पर शेल्टर बनाने के निर्णय लिया और उन्होंने पानी की बेकार 1,000 बोतलों का यूज़ करके यहां के निवासियों को अपना खुद का शेल्टर बनाने में मदद की.
इस बस शेल्टर को बनाने में 15 दिन लगे. इस बस शेल्टर को ‘Bamboo House India’ की पहल ‘Recycle India’ के अंतर्गत बनाया गया था. Bamboo House India हैदराबाद की ही एक कंपनी है, जो लकड़ी, इस्पात, लोहा और प्लास्टिक के लिए पर्यावरण के अनुकूल विकल्प के रूप में बांस का इस्तेमाल करती है.
Deccan Chronicle से बात करते हुए कंपनी के बेस्ट कारीगरों में से एक S. Jattaian ने बताया कि, ‘इसे बनाने के लिए लगभग पीने के पानी की 1 लीटर की 1000 रेगुलर बोतलों को Bhoiguda के एक डीलर से 1 रुपये 40 पैसे प्रति बोतल खरीदा गया था. इसके बाद इन सभी बोतलों को ड्रिल किया गया और फिर रस्सी की मदद से सबको आपस में बांधा गया. शेल्टर केवल फ्रेम मेटल का है, उसके अलावा छत से लेकर दीवारें तक सब कुछ प्लास्टिक बोतलों से ही बनाया गया है.’
इसके साथ ही वो कहते हैं कि हमको नहीं पता कि सरकारी अधिकारी इसे देखकर कैसी प्रतिक्रिया देते, इसलिए पहले इस शेल्टर को अस्थायी रूप से बनाया गया है, ताकि अगर इसको हटाना भी पड़े तो कोई परेशानी न हो. हालांकि, सरकारी अधिकारी इसे देखकर न केवल इसके डिज़ाइन से खुश हुए, बल्कि अब वो कई अन्य पायलट परियोजनाओं के लिए कंपनी के साथ बातचीत भी कर रहे हैं.
Bamboo House India के प्रशांत ने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि केवल अधिकारी ही इसके डिज़ाइन और मेटेरियल से प्रभावित हुए हैं, बल्कि स्थानीय निवासियों ने भी खुले दिल से इस सहेलतर का स्वागत किया है. हमको इस इलाके में रहने वाले उन निवासियों से पॉज़िटिव फ़ीडबैक भी मिल रहा है, जिनको ये शेल्टर पसंद आया है. अब हम इसको और बेहतर करने के बारे में सोच रहे हैं. आखिर में ये एक ऐसी परियोजना है, जो एक हरे-भरे और स्वच्छ भविष्य को सुनिश्चित करेगी.’
इस बस शेल्टर को एक प्रोटोटाइप के रूप में बनाया गया था, ताकि ये देखा जा सके कि एक रीसाइकल्ड प्लास्टिक की इस संरचना में गर्मी कैसी होगी. एहतियात के तौर पर वो हर दिन इस शेल्टर की जांच कर रहे हैं, ताकि ये सुनिश्चित हो जाए कि 40 डिग्री या उसे ज़्यादा तापमान पर ये बोतलें पिघल तो नहीं जाएंगी. लेकिन अभी तक इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है.
इस बस शेल्टर को बनाने में बोतलों की खरीद से लेकर ट्रांसपोर्टेशन तक में मात्र 15,000 रुपये का खर्चा आया है. चूंकि ये कंपनी पहले से ही स्थानीय इंजीनियरिंग कॉलेजों से जुड़ी हुई है, उन्हें उम्मीद है कि ये प्रोजेक्ट भविष्य की परियोजनाओं के लिए प्लास्टिक की बोतलों पर उन्हें बचाने में मदद करेगा.