केरल में आई भयंकर बाढ़ के दौरान इस IAS अधिकारी ने ‘ऑपरेशन कुट्टानाड’ के ज़रिये बचाया 2 लाख लोगों को

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केरल में आई भयंकर बाढ़ से लोगों की ज़िन्दगी अब पहले जैसी तो नहीं, लेकिन धीरे-धीरे सामान्य ज़रूर हो रही है. इस तबाही में लोगों को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने के लिए प्रशासन ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. इस दौरान कई आईएएस और आईपीएस ऑफ़िसर्स ने विपरीत परिस्तिथियों के बावजूद लाखों लोगों की जान बचाकर सराहनीय काम किया.

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एक कहावत है कि ‘अगर आपका सेनापति क़ाबिल है तो दुश्मन आपकी सेना पर हमला करने से पहले दस बार सोचेगा.’ बात अगर क़ाबिलियत की हो रही है, तो आज हम आपको एक ऐसे बहादुर सेनापति के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके साहस के आगे केरल की विनाशकारी बाढ़ ने भी घुटने तक दिए थे.

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अलप्पुझा ज़िले के सब-कलेक्टर कृष्णा तेजा वही आईएएस अधिकारी हैं, जिनकी सूझ-बूझ के चलते तबाही से पहले ही 2 लाख लोगों को बचा लिया गया था. कृष्णा लाखों लोगों के लिए उस वक़्त फ़रिश्ता बनकर आए जब उनकी ज़िंदगी ख़तरे में थी.

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दरअसल, 16 अगस्त की रात केरल के वित्तमंत्री डॉक्टर थॉमस और कृष्णा तेजा बैठक कर रहे थे, तभी कृष्णा तेजा को जानकारी मिली कि चेंगन्नूर और कुट्टानाड में भारी बारिश की वजह से सभी बांध भर गए हैं और उन्हें जल्द ही खोला जा रहा है.

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बांध के फाटक खोलने के बाद क्या हालात होंगे ये सोचते हुए कृष्णा तेजा ने बिना वक़्त गंवाए कुट्टानाड में ऑपरेशन शुरू कर दिया. बांध के फाटक खुलने से पहले ही उन्होंने हज़ारों लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचा दिया था. फाटक खोले जाने के बाद परिस्तिथियां और भी मुश्किल हो गई थी, लेकिन कृष्णा तेजा ने अपनी जान की परवाह किए बिना ही दो दिन के भीतर सारे गांव खाली कराकर क़रीब 2 लाख की ज़िंदगी बचा ली.

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बाढ़ के कठिन हालातों में इस आईएएस की सटीक रणनीतियों के चलते आज लाखों लोग ज़िंदा हैं. उन्होंने न सिर्फ़ लोगों बाढ़ से बचाया, बल्कि उनके रहने और खाने-पीने का भी उचित प्रबंध किया था.

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आईएएस अधिकारी कृष्णा तेजा का कहना है कि ‘मीडिया को इस ऑपरेशन से दूर रखा गया था, हम नहीं चाहते थे कि इससे लोगों के बीच डर और भगदड़ की संभावना पैदा हो. हमारे इस ऑपरेशन के वक़्त एनडीआरएफ़ ने भी काफ़ी मदद की थी. इस दौरान हमने 220 लोगों की सात टीम बनाई थी, जो अलग-अलग जगहों पर जाकर राहत कार्य में सहयोग कर रहे थे.

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इस विनाशकारी बाढ़ के दौरान भारतीय सेना के जवानों, सरकारी और निजी संस्थाओं और मछुआरों ने भी लोगों की जान बचाने के लिए जी जान लगा दी थी.

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