हरियाणा सरकार के IAS अफ़सर ने अल्पसंख्यक और दलितों को निशाना बनाते हुए किया FB पर विवादित पोस्ट

Sumit Gaur

हरियाणा के मेवात ज़िले में डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट के पद पर तैनात मणिराम शर्मा इन दिनों अपने विवादित बयान की वजह से सुर्ख़ियों में छाए हुए हैं. दरअसल मणिराम शर्मा ने अपने फ़ेसबुक अकाउंट पर एक स्टेटस डाला, जिसमें उन्होंने स्वच्छता अभियान का जिक्र किया, पर इस स्टेटस को डालते हुए वो भाषा की सभ्यता और गरिमा को भूल गए.

अपने स्टेटस में मणिराम शर्मा ने पुलिस हिरासत में लिए गए कुछ लोगों की तस्वीर को डालते हुए लिखा कि

सालाहेडी और सलम्बा……खुले में शौच के लिए दो सर्वाधिक बदनाम गांव ……दोनों गांव में बड़े-बड़े लोग….. उनसे ज़्यादा संख्या में बड़े-बड़े लोगों के चमचे…..इस चमचागिरी की ताकत के दम पर ही ना ये सरपंच की सुनते है और ना जिला प्रशासन की।आज इनकी अकड़ ढीली करनी थी और तसल्ली से ढीली कर भी दी। फोटो में दिखने वाले चारों व्यक्ति न केवल सम्पन्न और पहुँच रखने वाले है बल्कि इनके घरों में शौचालय भी है। फिर भी चमचागिरी की ताकत का भरोसा कुछ ज्यादा ही था इनको। इनको न केवल विभिन्न धाराओं में गिरफ्तार किया गया और फिर पंचायत खाते में जुर्माना भी वसूल किया गया। ना नेतागिरी काम आई और ना चमचागिरी ……एक तरफ कहते है कि खुले में शौच करने वालों का ना रोजा कबूल होता है और ना नमाज….. और दूसरी तरफ पाक रमजान में यह हरकत….. नाकाबिले बर्दाश्त तो है ही…..कल दो गांवों में और जाना है….. और इन गांवों के मर्दों को भी अपनी नेतागिरी और चमचागिरी पर कुछ ज्यादा ही भरोसा है। जाहिर सी बात है कि फोर्स भी इसी हिसाब से धावा बोलेगी……

मणिराम शर्मा द्वारा स्टेटस पोस्ट करने के बाद लोगों ने उनकी भाषा शैली पर सवाल करना शुरू कर दिया. एक यूज़र मोहम्मद साबिर शम्सी ने लिखा ‘यह कहना सही नहीं कि खुले में शौच करने वालों का रोज़ा-नमाज़ कुबूल नहीं होता. जो भाषा आप ने इस्तेमाल की है यह बिलकुल भी अच्छे इंसान की भाषा नहीं है. इस तरह की भाषा का प्रयोग कोई घमंडी आदमी ही कर सकता है. यह किसी बड़े अधिकारी या कलेक्टर की भाषा नहीं हो सकती.’

मणिराम यही नहीं रुके इसके बाद उन्होंने एक और पोस्ट डाला जिसमें उन्होंने लिखा कि

मणिराम के इस स्टेटस के बाद राजनीति भी शुरू हो गई है. हरियाणा के पूर्व मंत्री और नूह से विधायक रह चुके आफ़ताब अहमद ने उनके स्टेटस की निंदा करते हुए कहा कि ‘सालाहेडी और सलम्बा अल्पसंख्यकों के गांव हैं, जिनकी आबादी छह से सात हज़ार के करीब है. यहां रहने वाले ज़्यादातर लोग गरीब हैं. इनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति को समझे बिना, इन्हें ‘बदनाम’ कहना ठीक नहीं है.’

आपको ये भी पसंद आएगा
मिलिए Chandrayaan-3 की टीम से, इन 7 वैज्ञानिकों पर है मिशन चंद्रयान-3 की पूरी ज़िम्मेदारी
Chandrayaan-3 Pics: 15 फ़ोटोज़ में देखिए चंद्रयान-3 को लॉन्च करने का गौरवान्वित करने वाला सफ़र
मजदूर पिता का होनहार बेटा: JEE Advance में 91% लाकर रचा इतिहास, बनेगा अपने गांव का पहला इंजीनियर
कहानी गंगा आरती करने वाले विभु उपाध्याय की जो NEET 2023 परीक्षा पास करके बटोर रहे वाहवाही
UPSC Success Story: साइकिल बनाने वाला बना IAS, संघर्ष और हौसले की मिसाल है वरुण बरनवाल की कहानी
कहानी भारत के 9वें सबसे अमीर शख़्स जय चौधरी की, जिनका बचपन तंगी में बीता पर वो डटे रहे