UPSC Success Story: अनाथालय से लेकर IAS बनने तक, पढ़ें मोहम्मद शिहाब की संघर्ष भरी दास्तां

Abhay Sinha

IAS Mohammed Ali Shihab UPSC Success Story: मुश्किल हालात नहीं, हमारा नज़रिया होता है. ये नज़रिया ही है, जिससे किसी को मंज़िल की ख़ूबसूरती नज़र आती है, तो किसी को रास्ते की दुश्वारियां. फ़ैसला आपका है, आप कौन सा नज़रिया अपनाते हैं. क्योंकि जो लोग पथरीली राहों पर चट्टानी हौंसलों के साथ आगे बढ़ते हैं, उनके क़दम मंज़िले भी चूमकर झूम उठती हैं.

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आज की कहानी ऐसे ही शख़्स के बारे में है, जिसने अपने पिता को 11 साल की उम्र में खो दिया. मां के पास बच्चे की परवरिश करने के लिए पैसे नहीं थे तो मजबूरन अनाथालय भेजना पड़ा. मगर बावजूद इन मुश्किल हालातों के उस शख़्स ने संघर्ष किया और आज एक IAS अफ़सर बन चुका है. ये कहानी है IAS मोहम्मद अली शिहाब (Mohammed Ali Shihab) की.

अनाथालय में बीता बचपन

केरल के रहने वाले मोहम्मद अली शिहाब अपने सभी भाई-बहनों में सबसे छोटे थे. घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, इसलिए छोटी उम्र में ही शिहाब ने अपने पिता के साथ मिलकर पान और बांस की टोकरियां बेचना शुरू कर दिया.

किसी तरह उनका घर चल रहा था, लेकिन 11 साल की उम्र में पिता के देहांत के बाद उनका ये सहारा भी छिन गया.  उनके पिता की मृत्यु के बाद पांच बच्चों को पालने की ज़िम्मेदारी उनकी मां फातिमा पर आ गई. उनकी मां न तो पढ़ी-लिखी थीं और न ही उन्हें कोई काम मिलता था जिससे वे अपने बच्चों की देखभाल कर सकें.

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IAS Mohammed Ali Shihab UPSC Success Story

पिता के देहांत के बाद उनकी मां सभी बच्चों की परवरिश नहीं कर सकती थीं, इसलिए 11 साल की उम्र में उन्होंने शिहाब को अनाथालाय में छोड़ दिया. अनाथालयों के बारे में लोग भले ही कुछ भी सोचते हों, लेकिन शिहाब के लिए ये अनाथालय वरदान साबित हुआ. यहां उन्हें न सिर्फ पेट भरने के लिए खाना मिला बल्कि, ऐसा रास्ता भी मिला जिसने उनकी जिंदगी बदल दी. यहीं पर उन्होंने 12वीं तक पढ़ाई की.

लगातार मेहनत से निकाला UPSC का एग्ज़ाम

10 साल तक अनाथालय में रहने के बाद घर लौटकर शिहाब ने डिस्टेंस मोड से पढ़ाई की थी. सरकारी नौकरी के लिए शिहाब ने कड़ी मेहनत की और 21 अलग-अलग परीक्षाएं पास कीं. उ्न्होंने स्टेट सर्विसेज़ से लेकर  रेलवे टिकट परीक्षक और जेल वॉर्डन तक के एग्ज़ाम निकाले.

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इसके बाद यूपीएससी की परीक्षा देने का सफ़र शुरू हुआ, लेकिन ये सफ़र इतना आसान नहीं था, जितना आज लगता है. सिविल सेवा परीक्षा के पहले दो प्रयासों में शिहाब को केवल असफ़लता ही हाथ लगी. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और कोशिश करते रहे.

आखिरक़ार वो साल आ ही गया जब एक गरीब पान बेचने वाले और एक लाचार मां का बेटा अपने सपने को पूरा करने में कामयाब हो गया. शिहाब ने 2011 में अपने तीसरे प्रयास में UPSC परीक्षा पास की. उन्हें AIR 226 वीं रैंक मिली. अंग्रेजी इतनी अच्छी नहीं होने के कारण शिहाब को इंटरव्यू के दौरान ट्रांसलेटर की ज़रूरत पड़ी, जिसके बाद उन्हें 300 में से 201 अंक मिले. इसके बाद शिहाब की पोस्टिंग नागालैंड के कोहिमा में हुई.

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