कुछ साल पहले बहुत कम लोग ही सोलर एनर्जी का इस्तेमाल किया करते थे, जबकि ये ऊर्जा का सबसे स्वच्छ सोर्स है. टिकाऊ ऊर्जा के मामले में इसका कोई सानी नहीं. तभी तो भारत में सौर्य ऊर्जा को बढ़ाने के लिए तरह-तरह के प्रयास किए जा रहे हैं. सरकार ने 2030 तक बिजली की मांग का 40 फ़ीसदी ग्रीन एनर्जी से उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है. भारत की ये मेहनत अब रंग ला रही है और हमारा देश दुनिया में सबसे सस्ती सोलर एनर्जी प्रोड्यूस करने वाला देश बन गया है.
ये हम नहीं International Renewable Energy Agency (IRENA) कह रही है. इन्होंने सौर ऊर्जा पर किए गए एक सर्वे में ये बात कही है कि, भारत सबसे सस्ती सौर ऊर्जा बनाने में आगे है.
इस सर्वे के मुताबिक, साल 2018 में भारत में सोलर पैनल लगाने की लागत में पहले के मुकाबले 27 फ़ीसदी की गिरावट देखने को मिली है. इसका श्रेय जाता है, चीन से आयात किए गए सस्ते सोलर पैनल, खाली ज़मीन और सस्ती लेबर को. यही नहीं, साल 2010-2018 तक बड़े पैमाने पर सोलर पैनल लगाने की लागत में 80 फ़ीसदी की गिरावट आई है, जो किसी भी देश से सबसे अधिक है.
अब जब क़ीमतें कम हो रहीं हैं, तो मांग भी तेज़ी से बढ़ेगी.
वैश्विक स्तर पर नवीकरणीय बिजली(Renewable Power) उत्पादन का 55 फ़ीसदी हिस्सा सौर ऊर्जा से ही मिल रहा है. पिछले साल इसमें 94 गीगावाट की बढ़त देखी गई, जो अधिकतर एशियाई देशों द्वारा निर्मित की गई है. इसमें से चीन ने 44 गीगावाट की सौर ऊर्जा का उत्पादन किया था. दूसरे नंबर पर भारत है. इनके बाद अमेरिका,जापान, ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी का नंबर है.
लोग अब ग्रीन एनर्जी का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित हो रहे हैं
सौर ऊर्जा के साथ ही पवन ऊर्जा और पानी से बनी बिजली के उत्पादन में भी बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है. इस बारे में IRENA के डायरेक्टर Adnan Z. Amin के मुताबिक- “सौर ऊर्जा ने बिजली उत्पादन के क्षेत्र में ख़ुद को पसंदीदा तकनीक के रूप में स्थापित किया है. 2018 की मज़बूत ग्रोथ ने पिछले पांच सालों के ट्रेंड को बरकरार रखा है.”
ये बताता है कि लोग अब ग्रीन एनर्जी का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित हो रहे हैं.