ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी जैसे जांबाज़ कभी मरते नहीं, बल्कि हमेशा के लिए अमर हो जाते हैं

Ravi Gupta

इंडिया पाकिस्तान 1971 की लड़ाई के हीरो ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी ने बीते शनिवार मोहाली के प्राइवेट अस्पताल में आख़िरी सांस ली. उनकी उम्र 78 साल थी. फ़िल्म बॉर्डर में सनी देओल ने मेजर कुलदीप सिंह का ही किरदार निभाया था.

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1971 की उस रात को ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह के पास सिर्फ़ 120 जवानों की टुकड़ी थी. राजस्थान के लोंगेवाला की ज़मीन पर इस छोटी सी टुकड़ी के सामने थी पाकिस्तान की आर्मी जिसके पास टैंक थे, हज़ारों की संख़्या में जवान थे. लेकिन 120 जवानों की टुकड़ी ने पूरी पाकिस्तान फ़ौज को ख़देड़ दिया था. पाकिस्तान की ख़्वाहिश थी कि वो अपने शेरमान टैंक से लोंगेवाला और रामगढ़ पोस्ट को उड़ा कर उस पर कब्ज़ा करे. पर कुलदीप सिंह जो उस समय मेजर थे, उन्होंने पाकिस्तान को भारत की धरती पर कदम तक नहीं रखने दिया. पूरी रात अपनी फ़ौज के साथ पाकिस्तान 51 इंफेंटरी ब्रिगेड से लड़ते रहे.

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इस युद्ध के दौरान मेजर कुलदीप सिंह पंजाब रेजिमेंट से थे. पंजाब रेजिमेंट के अलावा उनके साथ कुछ डोगरा फ़ौजी भी थे. उस समय 23 वीं बटालियन में मेजर कुलदीप सिंह के पास दो विकल्प थे. या तो वो और जवानों के आने तक पाकिस्तानी दुश्मनों को रोकने की कोशिश करें या फिर पीछे हैट जाएं. पर इस कठिन समय में उन्होंने पाकिस्तान से लड़ने का फ़ैसला लिया था. साथ ही अपने सभी साथियों से ये भी कहा था कि अगर उन्हें लगे कि मेरे कदम लड़खड़ा रहे हैं, तो वो उन्हें गोली भी मार सकते हैं.

कुलदीप सिंह ने एक बार कहा था ‘ख़ुद लड़कर मरना कोई मुश्किल काम नहीं है पर अपने साथ बाकियों को खड़े करना और कहना कि आप भी मेरे साथ लड़ो और मरो यह बेहद मुश्किल काम है.’

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ब्रिगेडियर चांदपुरी का जन्म 22 नवंबर 1940 को मौजूदा पाकिस्तान के मिंट गुमरी में हुआ था. भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद उनका परिवार पंजाब के नवाशहर ज़िले के कस्बे के बलाचौर के गांव चांदपुर में आकर बस गया था. कुलदीप चांदपुरी ने अपनी पढ़ाई सरकारी कॉलेज होशियारपुर से की. साल 1962 में कुलदीप सिंह भारतीय फ़ौज की पंजाब रेजिमेंट में बतौर लेफ़्टिनेंट भर्ती हुए थे. सिर्फ़ 1971 ही नहीं, बल्कि 1965 की लड़ाई में भी उन्होंने अपनी बहादुरी का जौहर दिखाया था. ब्रिगेडियर चांदपुरी ने संयुक्त राष्ट्र की इमर्जेंसी सेवाओं में भी एक साल की सेवा दी थी. भारतीय फ़ौज में शानदार सेवाओं के लिए उन्हें महावीर चक्र और विशिष्ट सेवा मेडल से नवाज़ा गया था.

देश के इस वीर सपूत को हमारी तरफ से भाव-भीनी श्रद्धांजलि!

Feature Image: National Herald 

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