देश की हिफ़ाजत और दुश्मनों को सबक सिखाने के लिए पहली बार सेना में शामिल होंगे देशी नस्ल के कुत्ते

Sumit Gaur

भीड़-भाड़ वाले इलाकों में गश्त लगा रही पुलिस हो या फिर सरहद पर निगरानी कर रहे जवान हों. सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए आपने अकसर इनके साथ एक डॉग को देखा होगा. इन डॉग्स में ज़्यादातर जर्मन शेफ़र्ड, लैब्राडोर और Great Swiss Mountain ब्रीड के कुत्ते शामिल थे.

HuffingtonPost की रिपोर्ट के मुताबिक, इसी क्रम में अब विदेशी डॉग्स के बजाय हिंदुस्तानी डॉग्स की ब्रीड के कुत्तों को इस्तेमाल करने की योजना पर विचार-विमर्श किया जा रहा था. इस बाबत Mudhol नाम की एक हिंदुस्तानी ब्रीड का चयन भी कर लिया गया है, जिसे पर्शियन और तर्किश डॉग्स के बीच कर्नाटक के बागलकोट में क्रॉस करवा कर तैयार किया गया है. हिंदुस्तानी डॉग की ये ब्रीड अपने स्टैमिना और लड़ाई क्षमता के लिए पहचानी जाती है.

उत्तर प्रदेश के मेरठ के Remount and Veterinary Corps (RVC) सेंटर में इन डॉग्स को ट्रेनिंग दे कर सेना में जाने के लिए तैयार भी किया जा रहा है, जबकि 6 डॉग्स पहले ही सेना के लिए चुन लिए गए हैं, जो जम्मू कश्मीर में दुश्मन से लोहा लेने में जवानों की मदद करेंगे.

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