भारतीय वैज्ञानिक की इस खोज के बाद आसानी से ईंधन में बदल जायेगा बेकार पड़ा प्लास्टिक

Sumit Gaur

पेट्रोल और डीज़ल की बढ़ती खपत, भविष्य में इसके वजूद के लिए संकट बनी हुई है. ये जानने के बावजूद कि इसकी गिनती सीमित संसाधनों में होती है हम अंधाधुंध इसका प्रयोग करने में लगे हुए हैं.

सरकार इस बात से अच्छी तरह वाकिफ़ है, इसलिए इसके प्रयोग से बचने के लिए आये दिन वैकल्पिक संसाधनों के उपाए सुझा रही है. इस क्रम में वैज्ञानिक भी अपनी कोशिशों में जुटे हुए हैं और किसी तरह से पेट्रोल और डीज़ल को बचाने के लिए प्रयास कर रहे हैं.

भारतीय मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक स्वामीनाथन रमेश इस कोशिश के काफ़ी करीब नज़र आते हैं, जिन्होंने हाल ही में कैलिफ़ोर्निया में एक ऐसी तकनीक का आविष्कार किया है, जिसके ज़रिये बेकार पड़े प्लास्टिक को ईंधन में तब्दील किया जा सकता है.

इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस के पूर्व छात्र स्वामीनाथन रमेश Michigan-based EcoFuel Technologies के प्रेजिडेंट हैं, जो प्लास्टिक से फैलने वाले प्रदूषण की रोकथाम के लिए काम करती है.

स्वामीनाथन ने ‘Clean Oceans International’ के James Holm के साथ मिल कर एक कंपनी की शुरुआत की. इस कंपनी का उद्देश्य प्लास्टिक के नुकसान से प्रकृति को बचाना था.

‘National Meeting & Exposition of the American Chemical Society’ की 253वीं मीटिंग में इस कंपनी के रिसर्चस ने अपने प्रेजेंटेशन को वैज्ञानिकों के सामने रखा. इस मीटिंग में इस बात को भी रखा गया कि हर साल समुद्र में बह कर आये प्लास्टिक से निपटना एक बड़ी समस्या है.

इस तकनीक के आने से इस प्लास्टिक का निपटारा करने के साथ ही ईंधन की कमी को भी पूरा किया जा सकता है.

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