आज ब्रिटेन में हर कोई स्तपान को लेकर जागरूक है और इसकी वजह है 91 साल की ये भारतीय डॉक्टर

Akanksha Tiwari

मां का दूध नवजात शिशु के लिये बेहद आवश्यक होता है. ये बात लगभग दुनिया के हर इंसान को पता है, लेकिन ब्रिटेन के साथ ऐसा नहीं था. कुछ समय पहले तक ब्रिटेन में स्तनपान को महत्व नहीं दिया जाता था, पर अब दिया जा रहा है और इसकी वजह हैं अन्नपूर्णा शुक्ला. अन्नपूर्णा शुक्ला एक सफ़ल रिसर्चर होने के साथ-साथ 2019 लोकसभा इलेक्शन में पीएम मोदी की चार प्रस्तावकों में से एक हैं. 

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क्या कहती है रिसर्च? 

एक रिसर्च के दौरान अन्नपूर्णा शुक्ला ने पाया कि नवजात शिशुओं के लिये मां के दूध से बेहतर कुछ नहीं. मां का दूध न सिर्फ़ शिशुओं को अंदर से मज़बूत बनाता है, बल्कि उन्हें कई बीमारियों से भी दूर रखता है. 91 वर्षीय अन्नपूर्णा की इस शोध के बाद ब्रिटेन सरकार ने सभी बेबी फ़ूड कंपनियों को अपने प्रोडक्ट पर ‘मां के दूध का विकल्प नहीं’ लिख कर बेचने को कहा है. इस आदेश के बाद बेबी फ़ूड कंपनी इस मैसेज के साथ पैकेजिंग कर अपने प्रोडक्ट बेच रही हैं.  

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यही नहीं, अन्नपूर्णा द्वारा की शोध को ध्यान में रखते हुए ही WHO (वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन) ने भी नवजात के लिए छह महीनों तक मां का दूध ज़रूरी बताया है. अन्नपूर्णा की रिसर्च 1969-72 में ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुई थी. इसके साथ ही ये उनकी PHD का रिसर्च टॉपिक भी था. इस बारे में एक इंटरव्यू के दौरान अन्नपूर्णा ने बताया कि 1 वर्ष तक के जो बच्चे स्तनपान करने के बजाये, ठोस आहार ले रहे थे वो अधिक मोटे और वज़नदार थे. इसके साथ ही वो मां का दूध पीने वाले बच्चों की अपेक्षा कम एक्टिव भी थे. 

कौन हैं अन्नपूर्णा शुक्ला? 

अन्नपूर्णा शुक्ला BHU महिला महाविद्यालय की प्रोफ़ेसर रही हैं और उनकी मेडिकल की पढ़ाई भी वहीं से हुई है. इसके साथ ही वो लहुराबीर स्थित काशी अनाथालय की संस्था वनिता पॉलीटेक्निक की मानद निदेशिका का कार्यभार भी संभाल रही हैं. अन्नपूर्णा शुक्ला को मदन मोहन मालवीय की मानस पुत्री भी कहा जाता है और उनके पति बीएन शुक्ला रूस में भारत के राजनयिक भी रहे हैं. 

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