नेता, जनता के लिए काम करते हैं. इसके लिए उन्हें लोगों के बीच में रहना पड़ता है. चाहें, कोई कितना बड़ा नेता हो जाए, मगर उसे अपनी नीतियों के प्रचार और सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए जनता के बीच जाना ही पड़ता है. मगर ये काफ़ी ख़तरे भरा होता है. क्योंकि, हर कोई नेता से ख़ुश हो, ये ज़रूरी नहीं. ऐसे में कई बार लोगों की नाराज़गी आक्रामक रुख भी अख़्तियार कर लेती है.
ऐसा कई बार हो चुका है, जब नेताओं पर हमला हुआ है. कभी किसी नेता को थप्पड़ खाना पड़ा है, तो कभी उन पर जूता फेंका गया है. ऐसे भी नेता हैं, जिन्हें चाकुओं का हमला झेलना पड़ा है. तो चलिए जानते हैं उन भारतीय नेताओं के बारे में, जिन पर खुलेआम हमले हुए हैं.
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1. नीतीश कुमार
ये सबसे हालिया उदाहरण हैं. बिहार के मुख्यमंंत्री नीतीश कुमार पर 27 मार्च 2022 को एक शख़्स ने हमला कर दिया. ये हमला उनके गृहनगर बख्तियारपुर में तब हुआ, जब वो एक स्थानीय अस्पताल के परिसर में राज्य के एक स्वतंत्रता सेनानी शीलभद्र याजी की प्रतिमा के समक्ष उन्हें श्रद्धांजलि देने वाले थे. इस दौरान पीछे से आए व्यक्ति ने मंच पर चढ़कर नीतीश कुमार की पीठ पर हाथों से वार कर दिए. हालांकि, तुरंत ही पुलिस ने उस शख़्स को हिरासत में ले लिया. ये पूरी घटना कैमरे में क़ैद हो गई.
2. अरविंद केजरीवाल
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पर एक बार नहीं, बल्कि कई बार सार्वजनिक तौर पर हमले हो चुके हैं. 2019 में एक रोड शो के दौरान उन्हें एक शख़्स ने ज़ोर का थप्पड़ मार दिया था. उस शख्स ने उनकी जीप पर चढ़कर सबसे सामने ये कांड किया था.
3. जगन मोहन रेड्डी
YSR कांग्रेस के नेता जगन मोहन रेड्डी पर आंध्र प्रदेश के सीएम बनने से पहले हमला हुआ था. साल 2018 में जब वो जब विजाग हवाई अड्डे पर थे, एक शख़्स उनके साथ सेल्फ़ी लेने पहुंचा. मगर अचानक ही उन पर चाकू से हमला कर दिया. रेड्डी के हाथ पर कट लगा था, और ख़ून भी बहने लगा था.
4. डॉ. मनमोहन सिंह
भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह पर साल 2009 में एक शख़्स ने जूता फेंका था. ये घटना तब हुई, जब मनमोहन सिंह अहमदाबाद में एक चुनावी रैली को संबोधित कर रहे थे. हालांकि, हमलावर का निशाना चूक गया था और जूता उन्हें लगा नहीं.
5. पी. चिदंबरम
6. शरद पवार
7. राहुल गांधी
नेताओं की सुरक्षा के साथ इस तरह की चूक बेहद ख़तरनाक हो सकती है. नीतीश कुमार के मामले में भी हमलावर बड़ी घटना को अंजाम दे सकता है. ऐसे में सुरक्षा एजेंसियों को ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत है.