प्रवासी देश की प्रगति के सहयात्री हैं, आप भले ही विदेशों में रह रहे हैं, मगर हमारा ख़ून भारतीय है

Bikram Singh

बेंगलुरु में 14वें प्रवासी भारतीय सम्मेलन का आगाज़ हो चुका है. इस सम्मेलन में विदेशों में रहने वाले प्रवासी आए हुए हैं. प्रवासी भारतीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘हम पासपोर्ट का रंग नहीं देखते हैं, खून का रिश्ता देखते हैं. यह एक ऐसा पर्व है जिसमें अपनों से मिलने का अवसर मिलता है. यह अपनों से मिलना अपने लिए नहीं, सबके लिए होता है. उन्होंने कहा कि इतने लोगों का इस मौके पर आना गर्व की बात है.’

जानकारी के मुताबिक, करीब 30 मिलियन भारतीय मूल के लोग विदेशों में रहते हैं. ऐसे में भारतीय संख्या के लिए नहीं जाने जाते हैं, बल्कि जो उनका समाज और उस देश के लिए जो योगदान है, उसके लिए पहचाने जाते हैं.

इस कार्यक्रम में पीएम ने कई बातों का ज़िक्र किया, जो इस प्रकार से हैं.

हम लोग अपनी मेहनत, कानून पालन और शांति के स्वभाव के लिए इज्ज़त से नवाज़े जाते हैं.

सभी प्रवासियों की भले ही मंजिल अलग है, लेकिन सबके भीतर एक ही भाव है, ‘वह है भारतीयता’.

प्रवासी भारतीय जहां रहे, उस धरती को उन्होंने कर्मभूमि माना. जहां से आए उसे मर्मभूमि माना.

हम अपने सभी सरकारी विभागों में बदलाव कर रहे हैं. सभी एंबेसी को आदेश दिया गया है कि भारतीय लोगों की ज़रूरतों पर पूरा ध्यान दिया जाए.

हम पासपोर्ट का रंग नहीं देखते हैं, खून का रिश्ता देखते हैं.

इतना ही नहीं, पीएम ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की तारीफ़ कर कहा कि उन्होंने खुद कई लोगों की सीधे मदद की है. भारतीय प्रवासी इस देश की शान और मान भी हैं. ये एक हकीक़त भी है.

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