पांच माह की बच्ची को चलती ट्रेन में मात्र एक Tweet से मिला दूध, ये है हमारे देश की डिजिटल तस्वीर

Nagesh

डिजिटल होना सरकार और जनता दोनों के लिए हितकारी है. आजकल देश में कई समस्याओं का समाधान एक ट्वीट से होते देख कर बड़ा सुखद एहसास होता है. वर्तमान सरकार में कुछ मंत्री ऐसे हैं, जो डिजिटली बहुत एक्टिव हैं और तुरंत जनता को रिस्पोंस देते हैं. सुषमा स्वराज और सुरेश प्रभु ये लोग तो ऐसे हैं, जिन्होंने Tweet के ज़रिये कई लोगों की मदद की है. सुरेश प्रभु ने रेलवे की वाकई कायापलट कर दी है. सुस्त और बिना लगाम के चलने वाला रेलवे प्रशासन अब लोगों की मदद करने लगा है. अब इसी घटना को देख लीजिये. एक दम्पति अपने पांच माह की बच्ची को लेकर गुजरात से तिरुनेलवेली जा रहे थे. जब बच्ची को भूख लगी, तब दम्पति को एहसास हुआ कि दूध तो गर्म तापमान के कारण ख़राब हो चुका है.

तभी उनकी एक सहयात्री नेहा बाजपट ने कोंकण रेलवे को ये समस्या बताई. इसके थोड़ी ही देर बाद बच्ची कार्तिकी के लिए दूध का इंतज़ाम कर दिया गया. इससे पहले जब दम्पति को दूध ख़राब होने के बारे में पता चला, तो वो भाग कर पैंट्री गये. पर वहां भी दूध खत्म हो चुका था और अगला स्टेशन रत्ना गिरी आने में बहुत समय था. लेकिन इसी दौरान कोंकण रेलवे ने तुरंत रिप्लाई कर उनकी सहायता करने का आश्वासन दिया. 

देखिये नेहा और रेलवे में कैसे Tweets के ज़रिये बात हुई और बच्ची को दूध मिल गया.

कोलाड स्टेशन पर दम्पति को दूध का एक पैकेट दे दिया गया. डिजिटल इंडिया भले ही हमारे देश के लिए दूर का ढोल हो, पर है ये बड़ा मददगार. कार्तिकी जैसे कितने बच्चे भूखे नहीं रहेंगे, तो जनता को इन विभागों से लगाव बढ़ता जायेगा. बस एक अनुरोध है आपसे कि इस सेवा का दुरूपयोग न करें.

आपको ये भी पसंद आएगा
मिलिए Chandrayaan-3 की टीम से, इन 7 वैज्ञानिकों पर है मिशन चंद्रयान-3 की पूरी ज़िम्मेदारी
Chandrayaan-3 Pics: 15 फ़ोटोज़ में देखिए चंद्रयान-3 को लॉन्च करने का गौरवान्वित करने वाला सफ़र
मजदूर पिता का होनहार बेटा: JEE Advance में 91% लाकर रचा इतिहास, बनेगा अपने गांव का पहला इंजीनियर
कहानी गंगा आरती करने वाले विभु उपाध्याय की जो NEET 2023 परीक्षा पास करके बटोर रहे वाहवाही
UPSC Success Story: साइकिल बनाने वाला बना IAS, संघर्ष और हौसले की मिसाल है वरुण बरनवाल की कहानी
कहानी भारत के 9वें सबसे अमीर शख़्स जय चौधरी की, जिनका बचपन तंगी में बीता पर वो डटे रहे