सांवलेपन पर अफ़सोस नहीं ख़ुशी मनाइए, विशेषज्ञों का दावा सांवले लोगों को नहीं होता स्किन कैंसर

Akanksha Tiwari

आज के इस दौर में हर कोई ख़ूबसूरत दिखना चाहता है. सुंदरता की इस लिस्ट में शामिल होने के लिए, सबसे पहले लोग गोरा होने का प्रयत्न करते हैं. हां… हां… सही समझा आपने! क्योंकि लोगों का ऐसा मानना है कि जो जितना अधिक गोरा होगा, वो उतना ही आकर्षक लगेगा. लोगों की इसी मानसिकता को मज़बूत करने के लिए बाज़ार में तमाम तरह की फ़ेयरनेस क्रीम भी मौजूद हैं, जो रातों-रात इंसान को गोरा बनाने का दावा पेश करती हैं. लेकिन क्या आपको ये पता है, गोरा बनने की चाहत आपको काफ़ी भारी पड़ सकती है?

विशेषज्ञों की मानें तो गोरा बनाने के नाम पर बाज़ार में बिकने वाली Steroids क्रीम का इस्तेमाल करने के कई भयानक परिणाम सामने आ सकते हैं. बीते शुक्रवार को इंदौर में शुरू हुए तीन दिवसीय पिगमेंट्रीकॉन-2017 प्रोग्राम में विशेषज्ञों ने इसका ख़ुलासा करते हुए, लोगों से Steroids क्रीम न लगाने की सलाह दी. कार्यक्रम का आयोजन पिगमेंट्री डिसआर्डर सोसायटी द्वारा किया गया था, जिसमें करीब 500 से अधिक विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया.

प्रोग्राम में ये भी बताया गया कि भारतीयों की त्वचा दुनिया के अन्य देशों के लोगों की त्वचा के मुकाबले कहीं अधिक अच्छी होती है. इसी के चलते यहां स्कीन कैंसर के मरीज न के बराबर हैं.

पिगमेंट्री डिसआर्डर सोसायटी ऑफ़ इंडिया की अध्यक्ष डॉ. रश्मि सरकार ने कहा, ‘लोगों की स्किन को नुकसान पहुंचाने वाले क्रीम उत्पादकों के ख़िलाफ़ हमारी टीम शासन स्तर पर चर्चा कर रही है. साथ ही अब तक करीब दर्ज़न भर से अधिक प्रोडेक्ट्स की शिकायत की जा चुकी है.’

कॉन्फ़्रेंस के पहले दिन सफ़ेद दाग़, डॉर्क सर्कल समेत कई चीज़ों को लेकर, लेज़र सर्जरी पर Live डेमो भी दिखाया गया.

वहीं कॉन्फ़्रेंस आर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. नरेंद्र गोखले और डॉ. मीतेश अग्रवाल का कहना है कि अब तक सफ़ेद दाग़ को लेकर लोगों के मन में काफ़ी ग़लतफ़हमियां हैं, लेकिन अब लेज़र तकनीक के ज़रिए इसका इलाज भी संभव है.

आगे बताते हुए डॉ. अग्रवाल कहती हैं, सफ़ेद दाग़ के रोग को ख़त्म करने के लिए सर्ज़िकल तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके अंतर्गत इंसान के शरीर के एक जगह की त्वचा निकालकर दूसरी जगह फ़िट कर दी जाती है. इसके बाद जैसे-जैसे शरीर नई स्किन को एक्सेप्ट कर लेता है, सफ़ेद दाग़ गायब हो जाते हैं.

इस ख़ास प्रोग्राम में चिकित्सकों ने ये भी बताया कि भारतीय लोगों की त्वचा में एक ख़ास तरह का गुण होता है, जिस कारण लंबे समय तक धूप में बने रहने के कारण भी वो अपनी नैसर्गिकता नहीं खोती. वहीं गोरे लोगों के चेहरे पर झुर्रियां जल्दी दिखाई देने लगती हैं, जबकि भारतीयों में ऐसा नहीं होता और यही वजह है कि एक उम्र के बाद विदेशी और भारतीय खिलाड़ियों की त्वचा में बदलाव नज़र आने लगता है.

Source : Naidunia

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