लोगों के लिए मिसाल हैं लक्ष्मीबाला देवी, जो 102 साल की उम्र में मेहनत कर जीवन यापन कर रही हैं

Kratika Nigam

Lakshmibala Devi: मेहनत और लगन जिसमें है उसे उम्र भी नहीं रोक सकती. आज के युवा पीढ़ी जहां ओर ट्रैफ़िक, सर्दी, गर्मी और बरसात की शिकायत करती है. उन्हें इन मौसमों में ऑफ़िस जाना बवाल लगता है. जब से कोरोना आया ज़्यादातर ऑफ़िस कर्मचारियों को वर्क फ़्रॉम होम की सुविधा दे रहे हैं, जिसके बाद तो युवाओं की लॉटरी निकल गई है. ऐसे में दूसरी ओर 102 साल की पश्चिम बंगाल की लक्ष्मीबाला देवी भी हैं, जो उम्र के इस पड़ाव पर भी रुकना नहीं चाहती हैं. वो अपनी मेहनत से रोटी कमाकर खाना चाहती हैं. भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लेने वाली लक्ष्मीबाला आज भी अपने अंदर उस फ़ाइटर को ज़िंदा रखें हैं.

आइए इनके बारे में जानते हैं कि कौन हैं 102 साल की लक्ष्मीबाला देवी, जो इस उम्र में आत्मनिर्भरता की अटूट मिसाल हैं.

Lakshmibala Devi

ये भी पढ़ें: इस मजदूर से देखी नहीं गई स्कूल की बदहाली, बकरियों को बेचकर 2.5 लाख रुपए दिए विद्यालय को दान

News18 की एक रिपोर्ट के अनुसार, लक्ष्मीबाला का जन्म 1920 में पश्चिम बंगाल के कोलाघाट कस्बे के बागडिहा नामक गांव में हुआ था. वो दौर ऐसा था जब लड़कियों की शादी छोटी उम्र में हो जाती थी, लक्ष्मीबाला की भी शादी महज़ 13 साल की उम्र में कर दी गई थी. घर की आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं थी, जिसमें 5 बेटियों और एक बेटे का भरण पोषण करना असंभव था. तब उन्होंने पितृसत्तामक सोच वाले समाज से लड़ते हुए काम करना शुरू किया और तब से लेकर आज तक वो काम कर रही हैं.

Image Source: news18

आर्थिक स्थिति के चलते जो काम शुरू किया था वो उनकी ज़रूरत बन गया क्योंकि जब उनका बेटा गौर सिर्फ़ 7 साल का था तभी उनके पति का निधन हो गया. बस तभी से लक्ष्मीबाला ने अपने 6 बच्चों की ज़िम्मेदारी अपने कंधे पर पूरी तरह से उठा ली. लक्ष्मीबाला 102 साल की होने के बावजूद भी कोलाघाट बाज़ार में आज भी सब्ज़ियां बेचती हैं, जिन्हें वो अपने बेटे गौर के साथ सुबह 3 बजे किसानों से ख़रीदकर लाती हैं फिर दोपहर तक बाज़ार में आकर बेचती हैं.

Image Source: toiimg

इनके बेटे की भी कोलाघाट बाज़ार में चाय की दुकान है और वो अपनी मां से काम करने को मना करते हैं, लेकिन वो नहीं मानती हैं. इस पर लक्ष्मीबाला ने कहती हैं,

मेरा बेटा मुझे काम करने से रोकता है वो कहता है कि अब इतनी मेहनत करनी की ज़रूरत नहीं है, लेकिन मैं उसकी नहीं सुनती और यहां चली आती हूं.

Image Source: jdmagicbox

ये भी पढ़ें: ठेला लगाने वाले पिता को पुलिस वाले ने मारा था थप्पड़, बेटे ने जज बनकर दिया जवाब

आपको बता दें, लक्ष्मीबाला सोमवार से शुक्रवार तक सब्ज़ी बेचती हैं. इनके ग्राहक भी इनकी मेहनत और लगन के कायल हैं. लक्ष्मीबाला जैसी महिलाएं आज की युवा पीढ़ी के लिए और इस देश के लिए प्रेरणा हैं.

आपको ये भी पसंद आएगा
Bhoot Puja: भारत के इस गांव में होती है ‘भूत पूजा’, सिर कटी मूर्ति से लोग करते हैं प्रार्थना
पश्चिम बंगाल: नेपाल जाकर 3 साल में सीखा घर बनाना और फिर किसान ने बनाया टाइटैनिक जैसा ड्रीम हाउस
ब्रिटिश शासन के विरोध में आज भी इस स्कूल में Sunday को होती है पढ़ाई, Monday को रहता है बंद
जानिए भारत के उस आख़िरी रेलवे स्टेशन के बारे में जहां से नहीं गुज़रती है एक भी ट्रेन
Bandel Cheese: बंडेल चीज़ वो ख़ास उपहार है जिसे पुर्तगालियों ने 500 साल पहले बंगाल को दिया था
जानिए क्या होता है धुनुची नाच, 15 फ़ोटोज़ में देखिए मां दुर्गा को प्रसन्न करने वाले नृत्य की झलक