अमेरिका में लोग सड़कों पर हैं और पिछले एक सप्ताह से पुलिस की बर्बरता से हुए एक अफ़्रीकी-अमेरिकी नागरिक, जॉर्ज फ़्लॉयड की मौत का विरोध कर रहें हैं. ग़ौरतलब है कि गिरफ़्तार करने के दौरान एक पुलिसवाले ने जॉर्ज फ़्लॉयड की गर्दन को घुटने से तब तक दबाए रखा जब तक उसकी मौत नहीं हो गयी. इस बात को लेकर भारतीयों ने भी जमकर सोशल मीडिया पर अपना गुस्सा ज़ाहिर किया और विरोध किया.
1. 16 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के छज्जापुर गांव के निवासी मोहम्मद रिज़वान, 19, का पुलिस पिटाई के बाद अस्पताल में मौत हो गयी
रिज़वान अपने घर से बिस्कुट ख़रीदने निकला था जब पुलिसवालों ने लाठी और राइफ़ल बट्स से उसे बहुत मारा. हालांकि दूसरे लोग उस दुकान से अपना सामान ख़रीदते रहे. घायल रिज़वान घर पहुंचा और उसने कुछ घरेलू उपचार किये, मगर कुछ काम नहीं आया. उसे जल्द ही अस्पताल में भर्ती करवाया गया जहां उसकी मौत हो गयी.
2. सुरेश शाह और उनके भाई, रामप्रसाद को न केवल सब्ज़ियां बेचने से रोका गया, बल्कि पुलिसकर्मियों ने लाठियों से बुरी तरह पीटा भी
उनकी दिनचर्या में रोज़ सुबह मंडी से सब्जियां लाना और फिर शाम को ठेले पर बेचना शामिल था. वे ऐसा ही कर रहे थे कि तभी कुछ पुलिसवाले उनके ठेले के पास पहुंचे और उन्हें गालियां देने लगे. पुलिसवालों में से एक ने सुरेश को डंडे से इतनी जोर से मारा कि वह मुश्किल से खड़ा रह सका. उसे कई बार और मारा गया जिसके बाद उसे ठेला लेकर चले जाने को मज़बूर होना पड़ा.
3. पत्रकार नवीन कुमार ने दिल्ली पुलिस द्वारा उन्हें परेशान करने के बारे में ट्वीट करके बताया कि कैसे उनकी कार की चाबी, उनका फ़ोन और वॉलेट छीनकर उनको गालियां दी गयीं और पीटा गया.
4. COVID-19 लॉकडाउन के बीच किराने का सामान ख़रीदने निकले लोगों को चेन्नई पुलिस ने पीटा और उनका उत्पीड़न किया.
इतना ही नहीं, रिपोर्ट्स के अनुसार, डॉक्टर्स और अन्य आवश्यक सेवा कर्मचारियों जैसे कि अखबार विक्रेताओं, डिलीवरी देने वालों को, किराना दुकान के कर्मचारियों को, नौकरानियों को, पानी के टैंकर के ड्राइवरों को भी ऐसी ही मुसीबत का सामना करना पड़ा.
5. लॉकडाउन के पहले कुछ चरणों में पुलिस की बर्बरता से कथित तौर पर 12 लोगों की मौत हुई
आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश से 3-3 मौतें रिपोर्ट की गयीं जबकि मध्य प्रदेश से 2. महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पंजाब से कम से कम 1-1 मौत रिपोर्ट की गयी.
6. आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले के सटेनपल्ली कस्बे में पुलिस की पिटाई से एक 28 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गयी
मोहम्मद गोहाउस सुबह 8.40 पर कथित तौर पर दवाइयां ख़रीदकर घर लौट रहे थे जब पुलिस ने उन्हें रोका. उन्होंने बिना किसी कारण घर से बाहर निकलने के लिए मोहम्मद गोहाउस को कथित रूप से पीटा. एक हृदय रोगी होने के चलते वो वहीं पर गिर पड़े और एक अस्पताल में भर्ती करने के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.
7. चारकोप के एक 36 वर्षीय निवासी ने जो कार में अपनी पत्नी के साथ दवाई लेने के लिए निकले थे, उन्हें मुंबई के कांदिवली (पश्चिम) में तीन पुलिसवालों ने बुरी तरह पीटा
घटना शाम के 6 बजे की है जब ये दंपति दवाइयां ख़रीदकर लौट रहे थे. जैसे ही पति कार से बाहर निकले एक पुलिसवाले ने उन पर लाठियां बरसानी शुरु की दी. बाद में दो और पुलिसवाले आकर उनको पीटने लगे.
8. अप्रैल में मध्य प्रदेश पुलिस ने एक आदिवासी को लॉकडाउन तोड़ने के लिए कथित तौर पर पीट-पीट कर मार डाला
ख़बरों के मुताबिक़ ये घटना धार जिले के धामनोद में गुजरी गांव में घटी जब टीबू मेदा ज़रूरी सामान ख़रीदने के लिए घर से बाहर निकले थे. जब पुलिस ने लाठीचार्ज किया तब उनके दामाद संजय उनके साथ थे. उन्होंने भागने की कोशिश की लेकिन टीबू का पीछा किया गया और पुलिस ने उन्हें पीट-पीटकर मार डाला.
9. लॉकडाउन की घोषणा के अगले दिन दिल्ली पुलिस के एक सिपाही को सब्ज़ी के ठेले गिराते हुए देखा गया
वीडियो में दिख रहा शख़्स एक डंडा लिए हुए था और सब्ज़ी के ठेलों को उलट रहा था. इस मामले की जांच में पता चला कि साधारण कपड़ों में ये राजबीर नाम का एक पुलिस कांस्टेबल था, जो लॉकडाउन तोड़ने के लिए सब्ज़ीवालों को सबक सीखाना चाहता था. हालांकि, लॉकडाउन में सब्ज़ी बेचना मना नहीं था.
10. एक और वीडियो जो वायरल हुआ उसमें एक महिला डॉक्टर को एक पुलिस अधिकारी द्वारा थप्पड़ मारते हुए देखा गया था, जब वो अपनी रात की ड्यूटी के लिए जा रही थी. पुलिसवाले ने ये कहते हुए गाली दी, “इस समय तुम किसके साथ सोने जा रही हो?”
जिस पुलिसकर्मी ने उसे थप्पड़ मारा था उसने महिला डॉक्टर को लाठियों से पीटा, गालियां दी और घसीटते हुए पुलिस स्टेशन ले गया.
11. गुजरात पुलिस ने एक ऐसे शख़्स की बेरहमी से पिटाई की जो अपनी मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए निकला था
भैरो लाल लोहार को गुजरात के पुलिस अधिकारियों ने उस समय बेरहमी से पीटा जब वह अपनी मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए अपने घर से निकला था. उसने मृत्यु प्रमाण पत्र का प्रिंटआउट दिखाकर स्थानीय पुलिस से शहर से निकलने की अनुमति भी ले ली थी.
12. इस तरह की कई अन्य घटनाएं कैमरे में रिकॉर्ड की गईं हैं, जिनमें एक से बदतर एक हैं. इनमें से बहुत सारे वीडियो अभी भी ट्विटर पर चक्कर लगा रहे हैं.
13. लॉकडाउन घोषित होने के अगले दिन पश्चिम बंगाल का एक व्यक्ति जो दूध ख़रीदने के लिए बाहर गया था, उसको पुलिस ने बेरहमी से पीटा जिससे बाद में उसकी मौत हो गई
यह घटना सांकरी शहर के बानिपुर इलाके में हुई जब लाल स्वामी शाम को दूध खरीदने के लिए बाहर गए (जैसा उनकी पत्नी दावा करती हैं). उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने भीड़ पर लाठीचार्ज किया जिसमें लाल स्वामी बुरी तरह घायल हो गए. फिर उन्हें स्थानीय अस्पताल ले जाया गया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.
14. यहां तक कि हज़ारों किलोमीटर पैदल चलने वाले प्रवासी श्रमिकों को भी नहीं बख्शा गया. अलग-अलग राज्यों की पुलिस ने उन्हें मारने-पीटने में कोई दया नहीं दिखाई
विजयवाड़ा क्लब में 500 से अधिक मजदूरों को आश्रय प्रदान किया गया. लेकिन जब मज़दूर कनकदुर्गम्मा वरदाही के पास आए तो पुलिस ने उन्हें वापस जाने की चेतावनी दी और जब मज़दूरों ने अपनी यात्रा जारी रखने की कोशिश की तो पुलिस ने लाठियां बरसाईं.
शायद ये सही समय है जब पूरा देश संयुक्त राज्य अमेरिका में पुलिस बर्बरता के ख़िलाफ़ खड़ा हो रहा है, तो हम अपने लिए एक आईना ख़रीद ही लें. बाक़ी कहावतों में तो कहा ही गया है “हांथ कंगन को आरसी क्या”.