वैज्ञानिकों का दावा- भारत और श्रीलंका के बीच बना ‘रामसेतु’ कोई मिथक नहीं, बल्कि हकीकत है!

Rashi Sharma

राम सेतु से कौन वाकिफ़ नहीं होगा, अपना देश हो या विदेश राम सेतु और उसके बारे में जानकारी हमेशा लोगों के कौतुहल का विषय रहा है. हिंदुस्तान में तो राम सेतु हमेशा से ही चर्चा का विषय रहा ही है. कभी अपने अस्तित्व को लेकर तो कभी निर्माण के चलते. इसको लेकर आये दिन बहस होती रही है. क्या राम सेतु मानव निर्मित है या एक मिथक? इस राज़ पर से पर्दा उठाने का दावा अब अमेरिका के ‘Science’ चैनल के Discovery Communications ने किया है. कुछ भूगर्भ वैज्ञानिकों और आर्कियोलाजिस्ट की टीम को सैटेलाइट से प्राप्त तस्वीरों, सेतु स्थल और बालू की स्टडी करने के बाद पता चला कि भारत और श्रीलंका के बीच बना राम सेतु प्राकृतिक नहीं, बल्कि मानवों द्वारा बनाया गया था.

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Discovery Communications ने एक नया शो ‘व्हाट ऑन अर्थ’ बनाया है. और हाल में ही इस शो का प्रोमो भी जारी किया गया है, जिसमें इस बात का दावा किया गया है कि भारत और श्रीलंका के बीच मानव निर्मित पुल का अस्तित्व है. इस शो का प्रसारण बुधवार सुबह 7.30 पर किया जाएगा.

इस शो का प्रोमो प्रसारित होने के बाद केंद्रीय एवं सूचना प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने री-ट्वीट करते हुए ‘जय श्रीराम’ कैप्शन के साथ इसका स्वागत किया है.

इसके साथ ही इस चैनल ने Twitter पर शो के प्रोमो का लिंक पोस्ट करते हुए ट्वीट किया है कि ‘क्या भारत और श्रीलंका को जोड़ने के लिए राम सेतु के होने की बात मिथक या सच है? वैज्ञानिक विश्लेषण उसकी मौजूदगी को दर्ज करता है.’

शो में बताया गया है कि अमेरिकी पुरातत्व विशेषज्ञों के अनुसार, रामेश्वरम (भारत) के पास स्थित पंबन द्वीप और मन्नार द्वीप (श्रीलंका) के बीच लगभग 50 किलोमीटर की दूरी में पुल होने के संकेत मिलते हैं, जो मानव निर्मित है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि राम सेतु को Adam’s Bridge के नाम से भी जाना जाता है.

सोशल मीडिया पर लगभग 22 घंटे पहले Science Channel द्वारा रिलीज़ किये गए इस प्रोमो को अब तक 17 लाख से ज़्यादा लोग देख चुके हैं. साथ ही इसको 13,511 बार री-ट्वीट और 15,525 बार लाइक किया जा चुका है. इस प्रोमो को रिलीज़ करने के साथ ही Science Channel ने राम सेतु का मुद्दे फिर उठा दिया है.

ध्यान देने वाली बात है कि 2005 में UPA-1 सरकार ने शिपिंग कैनाल प्रोजेक्ट का प्रस्ताव रखा था. इस परियोजना का उस वक़्त भाजपा ने विरोध किया था और कहा था कि इस प्रोजेक्ट से ये ऐतिहासिक पुल क्षतिग्रस्त हो सकता है. इस प्रोमो के आने के बाद भाजपा महीने के अंत तक सुप्रीम कोर्ट में इस पर अर्ज़ी दे सकती है. गौरतलब है कि सेटेलाइट द्वारा खींची गई तस्वीरों में भी उस एरिया में पुल जैसी संरचना होने की बात कही गई है. मगर ये भी बात है कि वैज्ञानिक इस स्ट्रक्चर को उथला समुद्री क्षेत्र मानते हैं.

Feature Image Source: samacharhindi

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