जानिए कौन हैं 56वें और 57वें ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ पाने वाले नीलमणि फूकन और दामोदर मौउज़ो

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‘ज्ञानपीठ पुरस्कार चयन समिति’ ने साल 2021 और साल 2022 के लिए क्रमश: 56वें और 57वें ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ की घोषणा कर दी है. इस दौरान साल 2021 के लिए असमिया साहित्यकार नीलमणि फूकन (Nilmani Phookan) को, जबकि साल 2022 के लिए कोंकणी साहित्यकार दामोदर मौउज़ो (Damodar Mauzo) को ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ दिए जाने की घोषणा की गयी है.

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बता दें कि सुप्रसिद्ध कथाकार और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार श्रीमती प्रतिभा राय की अध्यक्षता में हुई चयन समिति की बैठक में 56वें और 57वें ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ पाने वालों के नामों की घोषणा की गई थी. बैठक में चयन समिति के अन्य सदस्य श्री माधव कौशिक, श्री सैय्यद मोहम्मद अशरफ, प्रो. हरीश त्रिवेदी, प्रो. सुरंजन दास, प्रो. पुरुषोत्तम बिल्माले, श्री चंद्रकांत पाटिल, डॉ. एस. मणिवालन, श्रीमती प्रभा वर्मा, प्रो. असग़र वजाहत और मधुसुदन आनन्द शामिल थे.

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1- कौन हैं 56वां ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ नीलमणि फूकन? 

असम के रहने वाले 88 वर्षीय नीलमणि फूंकन जूनियर (Nilmani Phookan Jr) असमिया भाषा के भारतीय कवि और कथाकार हैं. 10 सितंबर 1933 को असम के गोलघाट ज़िले के जन्मे नीलमणि फूंकन का असमिया साहित्य (Assamese Literature) में विशेष स्थान है और उन्होंने कविता की 13 पुस्तकें लिख चुके हैं. ‘सूर्य हेनो नामि अहे एई नादियेदी’, ‘मानस-प्रतिमा’ और ‘फुली ठका’, ‘सूर्यमुखी फुल्तोर फाले’ आदि उनकी कुछ महत्वपूर्ण कृतियां हैं. फूकन को ‘पद्मश्री’, ‘साहित्य अकादमी’, ‘असम वैली अवॉर्ड’ ‘साहित्य अकादमी फैलोशिप’ से सम्मानित किया जा चुका है.

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नीलमणि फूकन अपनी कविताओं में जिन परिदृश्यों का उदाहरण देते हैं वो महाकाव्यात्मक और मौलिक हैं. इसके अलावा वो ‘जीवन और मृत्यु’, ‘आग और पानी’, ‘ग्रह और तारा’, ‘जंगल और रेगिस्तान’, ‘मनुष्य और पर्वत’, ‘समय और स्थान’ और ‘युद्ध और शांति’, की बात भी करते हैं. फूकन का कैनवास विशाल है, उनकी कल्पना पौराणिक है, जबकि आवाज़ लोक-आग्रह बोली है. फूकन की चिंताएं राजनीतिक से लेकर कॉस्मिक तक, समकालीन से लेकर अनंत तक हैं. वो  

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2- कोंकणी साहित्यिक का चर्चित चेहरा हैं दामोदर मौउज़ो 

गोवा के रहने वाले 77 वर्षीय दामोदर मौउज़ो (Damodar Mauzo) कोंकणी साहित्यिक में चर्चित चेहरा हैं. सन 1944 में जन्में दामोदर मौज़ो को साल 2022 के लिए ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ से सम्मानित किया जायेगा. वो अपने क़रीब 50 साल के लेखन करियर में 6 कहानी संग्रह, 4 उपन्यास, 2 आत्मकथात्मक कृतियां और बाल साहित्य को कलमबद्ध कर चुके हैं. दामोदर मौउज़ो मूल रूप से लघुकथा लेखक, उपन्यासकार, आलोचक और कोंकणी भाषा के पटकथा लेखक हैं.

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दामोदर मौउज़ो को सन 1983 में उनके उपन्यास कर्मेलिन (Karmelin) के लिए ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार‘ से सम्मानित किया जा चुका है. साल 2011 में मौउज़ो को उनके उपन्यास सुनामी साइमन (Tsunami Simon) के लिए ‘विमला वी.पाई विश्व कोंकणी साहित्य पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था. इसके अलावा साल 2015 में उनकी लघु कहानियों (Short stories) का संग्रह ‘Teresa’s Man and Other Stories from Goa‘ फ्रैंक ओ’कॉनर अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार (Frank O’Connor International Award) के लिए नामांकित हुई थीं.

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बता दें कि दामोदर मौउज़ो (Damodar Mauzo) दिवंगत रवींद्र केलकर के बाद ये शीर्ष साहित्यिक पुरस्कार जीतने वाले दूसरे कोंकणी लेखक बन गए हैं. इसके अलावा दामोदर मौउज़ो साहित्य अकादमी कार्यकारी बोर्ड और ‘जनरल काउंसिल’ के साथ ही ‘वित्त समिति’ के सदस्य के रूप में भी कार्य कर चुके हैं.

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