पत्रकार अगर सवाल नहीं पूछेंगे तो और क्या करेंगे? वित्तमंत्रालय को अपने नए आदेश में यह भी बताना चाहिए था. नए नियम के हिसाब से वित्रमंत्रालय के अधिकारी प्रेसवार्ता के दौरान अधिकारियों से सवाल नहीं पूछ सकते. प्रेसवार्ता में सिर्फ़ अधिकारी अपने बयान पढ़ कर चले जाएंगे. सवाल को पूछने के लिए उन्हें ई-मेल करना होगा, फिर इसे प्रेसवार्ता क्यों कहा जाए! यहां कोई वार्तालाप तो हुई ही नहीं.
वित्तमंत्रालय और पत्रकारों के बीच काफ़ी दिनों से तनातनी का माहौल बना हुआ है. सबसे पहले वित्तमंत्रालय में मान्यता प्राप्त पत्रकारों के प्रवेश को वर्जित किया गया. अब से उन्हीं पत्रकारों को मंत्रालय में जाने की अनुमती होगी, जिनके पास पहले से अधिकारी से मिलने का अप्वाइंटमेंट होगा.
इस फ़ैसले से पत्रकारों की जमात नाराज़ हुई. इस वजह से वित्तमंत्रालय कवर करने वालों पत्रकारों में 100 पत्रकारों ने वित्रमंत्री सीतारमण द्वारा दिए गए ‘पोस्ट बजट डिनर’ का बहिष्कार किया.
शुक्रवार को पत्रकारों ने वित्तमंत्रालय के अधिकारियों के प्रेसवार्ता का भी बहिष्कार किया, क्योंकि नेशनल मीडिया सेंटर में उनसे कहा गया कि अधिकारी सिर्फ़ बयान पढ़ेंगे, वो किसी प्रकार के सवालों का जवाब नहीं देंगे. इस वजह से अधिकांश पत्रकार वहां से चले गए और महज़ दो पत्रकारों की मौजूदगी में अधिकारियों ने बयान पढ़े.
ऐसी ख़बरें आ रही हैं कि सरकार धीरे-धीरे सभी मंत्रालयों से पत्रकारों को दूर करना चाह रही है. विदेश मंत्रालय में पहले ही प्रेस वार्ता की जगह प्रेस ब्रीफ़िंग का चलन है. कहा जा रहा है कि गृह मंत्रालय भी ऐसी ही काम करेगी. हालांकि गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि वो बड़े दिल वाले आदमी हैं, पत्रकारों पर ऐसी पाबंदियां नहीं लगाएंगे.