हम सब बेसब्री से कोरोना वायरस की वैक्सीन का इंतज़ार कर रहे हैं. ऐसे में फ़ार्मा कंपनी Pfizer ने अपनी कोरोना वैक्सीन के लास्ट स्टेज ट्रायलों के शुरुआती एनालिसिस के नतीजे जारी कर दिए हैं. कंपनी के मुताबिक़, उसकी वैक्सीन वायरस को रोकने में ख़ासी कारगर रही है. इस वैक्सीन को Pfizer तैयार कर रहा है तो वैक्सीन के पीछे का साइंस एक जर्मन कंपनी, BioNTech का है.
आइए जानते हैं इस वैक्सीन के बारे में कुछ ख़ास बातें:
1. यह वैक्सीन काम कैसे करती है?
आम तौर पर वैक्सीन्स शरीर का इम्यून सिस्टम बढ़ाने के लिए निष्क्रिय रोग पैदा करने वाले जीव शरीर के अंदर डालते हैं. जिससे लड़ने के लिए शरीर का अपनी इम्यून या प्रतिरोधक सिस्टम एक्टिवेट हो जाता है.
मगर यह एक mRNA वैक्सीन है. पहले तो, RNA यानी Ribonucleic Acid हमारे शरीर के DNA को प्रोटीन्स और अन्य तत्वों में तोड़ता है.
अब messengerRNA (mRNA) वैक्सीन, वायरस विशेष जानकारी रखता है. जैसे ही ये वैक्सीन शरीर के अंदर जाती है, शरीर के कोशाणु या Cells उन्हें तोड़ने की कोशिश करते हैं. जैसे ही सेल्स को इन बाहरी तत्वों के बारे में पता चलता है तो इम्यून सिस्टम एक्टिवेट हो जाता है.
2. इस वैक्सीन को बनाने के पीछे किसकी सोच थी?
वैक्सीन के पीछे तुर्की मूल के एक विवाहित जोड़े का दिमाग़ है. 55 साल के प्रोफ़ेसर उगुर साहिन और 53 साल की डॉ. ओज़लेम ट्यूरिक जर्मन कंपनी BioNTech को चलाते हैं.
मूल रूप से कंपनी कैंसर की दवाइयां बनाती है. मगर जनवरी में दुनियाभर में फैले कोरोनावायरस को देखते हुए उन्होंने इसकी वैक्सीन बनाने का सोचा.
3. वैक्सीन कितनी कारगर है?
वैक्सीन के लास्ट स्टेज ट्रायलों में देखा गया कि करीब 44 हज़ार लोगों पर वैक्सीन का ट्रायल हुआ, लेकिन इनमें से 94 लोगों को कोविड19 की चपेट में पाया गया. इस अध्ययन के बाद वैज्ञानिकों ने समझा कि वैक्सीन 90 फ़ीसदी कारगर है और साथ ही यह भी समझा जा रहा है कि 94 प्रतिभागियों को वैक्सीन डोज़ देने पर भी उन्हें कोरोना संक्रमण कैसे हुआ.
यह वैक्सीन दो डोज़ में दी गई है. पहले इंजेक्शन के 28 दिन बाद प्रोटेक्शन मिल जाती है. मगर अभी इसकी कोई पुष्टि नहीं है कि वैक्सीन लगाने के बाद कोरोना वायरस का संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे को नहीं होगा या फिर ये कितने लम्बे समय तक सुरक्षा देगा.
4. यह कितनी सुरक्षित है?
अभी तक तो किसी भी वैक्सीन को मंज़ूरी नहीं मिली है. हालांकि, Pfizer के ट्रायल के दौरान अभी तक कोई भी स्वास्थ्य संबंधित दिक़्क़त नहीं आई है.
5. वैक्सीन से जुड़ी क्या परेशानियां हो सकती हैं?
यदि सब सही जाता है तो वैक्सीन के वितरण में दिक़्क़त आ सकती है. टीके को काम करने के लिए अविश्वसनीय रूप से ठंडे तापमान (-70 डिग्री सेल्सियस / -80 डिग्री सेल्सियस) पर संग्रहित करने की आवश्यकता होती है. सामान्य कोल्ड स्टोरेज से बात नहीं बनेगी.
6. अब बाकी वैक्सीन का क्या होगा?
फ़ाइनल वैक्सीन की दौड़ दुनियाभर में अभी भी चल रही है. कई सारी वैक्सीन्स के ट्रायल अभी भी जारी हैं. सब अच्छा गया तो उम्मीद है अगले साल हमारे पास एक वैक्सीन ज़रूर होगी.
7. कब तक उपलब्ध होगी?
Pfizer की योजना अगले साल 1.3 बिलियन डोज़ तैयार करने की है. एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी सरकार ने Pfizer से 1.95 बिलियन डॉलर में 100 मिलियन डोज़ की डील की है. अभी तक भारत ने यह वैक्सीन उपलब्ध होने की कोई ख़बर नहीं है.