Kolkata Lesbian Couple Marriage : देश में पिछले कुछ समय से समलैंगिक विवाह को मान्यता देने पर बहस चल रही है. इसी बीच दो युवतियों ने सोमवार यानि 22 मई 2023 को कोलकाता में शादी कर ली. इस दौरान इंद्रधनुषी रंग में रंगा हुआ पूरा शहर सेम सेक्स मैरिज का गवाह बना. कपल की शादी LGBTQIA+ समुदाय के लिए उम्मीद की किरण लाई है.
आइए आपको कपल की रोमांटिक लव स्टोरी के बारे में बता देते हैं.
इस दिन रचाई शादी
दरअसल, 22 मई 2023 को मौसमी दत्ता और मौमिता चटर्जी ने सभी बंगाली सेरेमनी जैसे हल्दी, संगीत, मेहंदी और फेरों को पूरा करने के बाद शादी की कसमें खाई. दोनों ने कोलकाता के प्रसिद्ध भूतनाथ मंदिर में शादी की. 19 साल की मौमिता पीले रंग की पंजाबी और टॉप पहनकर शादी करने मंदिर पहुंची. लाल बनारसी में दुल्हन बनकर मौसमी उनका इंतज़ार कर रही थी. चैतन्य शर्मा और अभिषेक रे के बाद मौसमी दत्ता और मौमिता मजुमदार तीसरी कपल हैं, जिन्होंने एलजीबीटी अधिकारों की सफ़लता की कहानी में एक और पंख जोड़ते हुए एक समावेशी समाज की ओर एक कदम बढ़ाया है. उनकी शादी अन्य एलजीबीटीक्यू जोड़ों के लिए एक मॉडल के रूप में काम करेगी, जो अपने जीवन के प्यार से शादी करना चाहते हैं. सुचंद्र दास और श्री मुखर्जी 2018 में शादी करने वाले इस शहर के पहले कपल बने थे.
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कैसे हुई थी लव स्टोरी की शुरुआत?
कोलकाता की 25 वर्षीय मौसमी दत्ता कुछ महीने पहले इंस्टाग्राम पर मोउमिता मजुमदार के संपर्क में आई थीं. दोनों के बीच की बातचीत धीरे-धीरे नज़दीकियों में तब्दील हुई. इसके बाद वो फ़ोन और फ़ेसबुक पर भी डेली बातचीत करने लगी. इसके बाद एक दिन अचानक से मौमिता ने मौसमी के सामने शादी का प्रपोज़ल रख दिया. इसके बारे में मौमिता ने मीडिया से बातचीत में कहा, “कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए. अगर हेट्रोसेक्सुअल कपल्स लिव-इन रिलेशनशिप में रह सकते हैं, तो हमें जीवन के साधारण सुखों से क्यों वंचित किया जाना चाहिए, जैसे किसी ऐसे व्यक्ति के साथ रहना जिससे हम प्यार करते हैं.”
कपल का मानना है कि प्यार प्यार होता है. मौसमी जो उम्मीद करती हैं कि उनके पार्टनर की फ़ैमिली उन्हें प्यार देगी और उन्हें सपोर्ट देगी, उनका कहना है, “जब प्यार में पड़ने की बात आती है, तो जेंडर शायद ही कोई एक फैक्टर होता है. ये सब परफ़ेक्ट इन्सान को खोजने और उससे दिल का कनेक्शन बनाने तक सीमित हो जाता है.”
इस तथ्य के बावजूद कि 2018 में समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया था, भारत में समलैंगिक विवाह अभी भी “अवैध” बना हुआ है. अधिक प्रगतिशील समाज के निर्माण की दिशा में प्रगतिशील प्रयास करने में कोलकाता लंबे समय से आगे रहा है, और मौमिता और मौसमी इसके दो और उदाहरण हैं.