पुणे के National War Memorial में इस रविवार को बहुत भीड़ थी. सैंकड़ों भारतीय यहां नम आंखों से शहीद मेजर शशिधरन वी. नायर को अंतिम विदाई देने पहुंचे थे. वो एलओसी पर पेट्रोलिंग के दौरान हुए एक आतंवादी हमले में शहीद हो गए थे. वो एक ऐसे शख़्स थे जिन्होंने न सिर्फ़ देश के प्रति अपने कर्तव्य को निष्ठा से निभाया बल्कि लोगों को एक ट्रू जेंटलमैन क्या होता इसकी भी सीख दे गए.
11 जनवरी को एलओसी के करीब नौसेरा सेक्टर में एक आईडी ब्लास्ट में शहीद हुए आर्मी ऑफ़िसर शशिधर को पूरे गॉर्ड ऑफ़ ऑनर के साथ अंतिम विदाई दी. इस दौरान उनकी पत्नी तृप्ति भी अपनी व्हीलचेयर पर बैठकर उन्हें नम आंखों से विदा करने पहुंची थीं.
मेजर नायर 10 दिन पहले ही अपने परिवार के साथ लंबी छुट्टी बिताने के बाद कश्मीर पहुंचे थे. वो अपनी पत्नी से बेइंतहा प्यार करते थे. इनकी लव स्टोरी भी लेज़ेंडरी है, जो भारतीय सेना के बीच काफ़ी फे़मस है और शायद रहेगी भी.
मेजर नायर और तृप्ति एक कॉमन फ्रेंड के ज़रिये पुणे में मिले थे. दोनों को पहली नज़र में ही एक-दूसरे से प्यार हो गया था. उस वक़्त मेजर नायर 27 साल के थे और तृप्ति 26 की. इस मुलाकात के 6 महीने बाद ही दोनों ने सगाई भी कर ली. फिर एक ऐसी घटना हुई जो इन दोनों के प्यार की परीक्षा लेने वाली थी.
दरअसल, सगाई के 8 महीने बाद ही तृप्ति Multiple Arteriosclerosis नाम की बीमारी की शिकार हो गईं. इसके चलते वो अपने शरीर को हिला-डुला नहीं पार रही थीं और मजबूरन उन्हें व्हीलचेयर पर बैठना पड़ा. इस घटना के बाद मेजर नायर के बहुत से दोस्तों ने उन्हें सगाई तोड़ने के लिए कहा. लेकिन मेजर नायर ने अपने वादे को तोड़ने से इंकार कर दिया. 2012 में दोनों ने शादी कर ली. लेकिन मुश्किलें मेजर नायार का पीछा छोड़ने को तैयार न थीं.
शादी के कुछ दिनों बाद तृप्ति को लकवे का अटैक आया और उनके कमर के नीचे के हिस्सा सुन पड़ गया. इसका मतलब था कि अब तृप्ति को अपना पूरा जीवन व्हीलचेयर पर ही बिताना था. मगर ये परेशानी भी इन दोनों के प्यार को कम न कर सकी.
मेजर नायर हमेशा उनके साथ रहते और किसी भी पार्टी, डिनर और गेट-टुगेदर में उसी जोश के साथ शरीक होते जैसे कि एक आम आदमी. तृप्ति को वो व्हीलचेर पर लेकर जाते और ज़रूरत पड़ने पर गोद में भी उठाते थे. उनकी ये ज़िंदादिली देखकर लोगों के मन में मेजर नायर के प्रति इज़्ज़त और बढ़ गई.
मेजर नायर की पोस्टिंग जब कश्मीर में हुई तो तृप्ति को उनकी बहुत चिंता होती थी. हर बार जब भी दोनों फ़ोन पर बात करते, तब मेजर नायर उनसे कहते कि वो बहुत जल्द लौटेंगे. उन्होंने अपना वादा तो निभाया, लेकिन जिस अंदाज में वो लौटे उसके बारे कभी तृप्ति ने सोचा भी नहीं होगा.
मेजर नायर तिरंगे में लिपटे हुए वापस आए. उन्होंने अपने परिवार से किया गया वादा भी निभाया और देश के प्रति अपना कर्तव्य भी.
भारत के इस वीर सपूत को शत-शत नमन!