योगी युग में चिड़ियाघर के शेर और बाघ चिकन खाकर कर रहे हैं गुज़ारा

Akanksha Tiwari

यूपी में योगी सरकार पूरे एक्शन में नज़र आ रही है. चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी ने जो मुद्दे उठाए थे उसे पूरा करने में योगी सरकार कोई कसर नहीं छोड़ रही है. यही वज़ह है कि इसकी गाज अवैध बूचड़खानों पर गिरी है, जिसका खामियाज़ा लखनऊ में चिड़ियाघर के शेरों और बाघों को भी भुगतना पड़ रहा है. इटावा सफ़ारी के शेर बीते मंगलवार से चिकन पर गुज़ारा कर रहें हैं.

चिड़ियाघर के अधिकारियों का कहना है कि शेरों और बाघों को रोज़ाना 235 किलो भैंस के मीट की ज़रूरत होती है, लेकिन पिछले दो दिनों से सिर्फ़ 80 किलो मीट ही मिल पा रहा है. इनके बच्चों को चिकन ख़िलाया जाता है, लेकिन वयस्क जानवरों को भैंस के मीट की ज़रूरत होती है.

मौजूदा हालात में चिड़ियाघर में 47 मासांहारी जानवर है. सात बाघ, 4 सफेद बाघ, सात शेर, आठ तेंदुए, 12 जंगली बिल्लियां, दो लकड़बग्घे, 2 भेड़िए और 2 सियार हैं जिन्हें भैंस के मीट की ज़रूरत होती है. मटन चिकन खाने वाले जानवरों का मूड चेंज करने के लिए उन्हें और भी दूसरे तरीके का खाना दिया जाता है.

इन हालातों में चिड़ियाघर प्रशासन राज्य के बाहर किसी दूसरे कॉन्ट्रैक्टर की तलाश में है, जो पर्याप्त मीट सप्लाई कर सके.

द टाइम्स ऑफ़ इंडिया बात करते हुए इटावा सफ़ारी के अधिकारियों ने बताया कि बाघों और शेरों को पिछले तीन दिनों से भैंस का मीट नहीं मिल पा रहा है. ‘हम उन्हें मटन और चिकन खिला रहे हैं, लेकिन यह उनके लिए पर्याप्त नहीं है क्योंकि इसमें फैट की मात्रा बहुत कम होती है. बड़े मांसाहारी जानवरों को रोज़ाना औसतन 8-10 किलो भैंस के मीट ज़रूरत होती है, जो फिलहाल उन्हें नहीं मिल पा रहा है.’

Source : Indiatimes

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