Krishnakant Sahu Cleared JEE Advance 2023: कहते हैं क़लम हमारी सबसे बड़ी ताकत होती है. ये साबित कर दिया मध्य प्रदेश के छोटे से गांव के रहने के रहने वाले कृष्णकांत साहू ने. पिता की मजदूरी में हाथ बंटाकर और पढ़ाई के साथ-साथ कृष्णकांत ने अपने परिवार का नाम रौशन कर दिया है. उनकी ज़िंदगी आम लोगों की तरह आसान नहीं थी, लेकिन अपने आने वाले कल को संवारने में कृष्णकांत ने बहुत मेहनत की. चलिए इस आर्टिकल के माध्यम से बताते हैं आपको उनकी इंस्पायरिंग कहानी (Inspiring Story Of JEE-Advance Rank Holder Krishnakant Sahu)-
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आइए बताते हैं JEE-Advance 2023 क्लियर करने वाले कृष्णकांत साहू की इंस्पायरिंग कहानी (Krishnakant Sahu Cleared JEE Advance 2023)-
कृष्णाकांत मध्य प्रदेश के छोटे से गांव बिचपुरी से आते हैं. जहां उनके पिता मजदूरी और वो जी-तोड़ पढ़ाई करते थे. कभी-कभी उन्हें ऐसे भी दिन देखने पड़े, जब अगर उनके पिता को मजदूरी न मिले तो घर पर रोटी के भी लाले पड़ जाते थे. कृष्णकांत ने अपना जीवन एक कच्चे मकान में गुज़ारा और वो वहीं एक कोने में बैठकर पढ़ाई करते रहते थे.
इतना ही नहीं कृष्णकांत पढ़ाई के साथ-साथ अपने पिता की भी मदद करते थे. उन्होंने कभी भी पढ़ाई का साथ नहीं छोड़ा. हमेशा सच्ची लगन के साथ पढ़ाई करते थे. जिसके फल स्वरुप JEE-Advance 2023 में उन्होंने 91 पर्सेंटाइल स्कोर किए और ऑल इंडिया रैंक 924 हासिल की. इस ख़बर से आज उनके पिता सबसे ज़्यादा ख़ुश हैं और वो जानते हैं कि उनके बेटे का भविष्य बहुत उज्जवल होने वाला है.
पिता 12वीं और माता 8वीं पास हैं
कृष्णकांत के पिता पेशे से एक मजदूर हैं और अपनी डेढ़ एकड़ ज़मीन पर खेती भी करते हैं. अगर हम उनके पिता की पढ़ाई की बात करें तो वो 12वीं पास और माता कुंती 8वीं पास हैं. कमलेश खुद एक दिहाड़ी मजदूर हैं. उन्होंने अपने तीनों बच्चों पढ़ाया. कृष्णकांत के अलावा उनकी बेटी बीएससी और छोटा बेटा 10वीं कक्षा की पढ़ाई कर रहा है. कृष्णाकांत कहते हैं कि अगर उन्होंने पढ़ाई कर ली होती, तो उनका जीवन कुछ और ही होता.
कोविड-19 में पढ़ने के लिए नहीं था फ़ोन
कोविड-19 का दौर हम सबके लिए बहुत ही संघर्ष भरा था. जहां कई लोगों की नौकरियां गई और बिज़नेस डूब गए. ये समय कृष्णकांत के लिए भी बहुत कठिन था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, कृष्णकांत के 10वीं में 97.5 प्रतिशत और 12वीं में 92.2 प्रतिशत अंक लाने के कारण एक प्राइवेट स्कूल ने 6-10 कक्षा तक मुफ़्त शिक्षा देने का निर्णय लिया. कृष्णकांत जब 11वीं में थे, तब कोरोना काल शुरू हो गया और उनकी पढ़ाई बीच में ही रुक गई. स्कूल वालों ने ऑनलाइन क्लास शुरू कर दी. जिसे अटेंड करने के लिए कृष्णकांत के पास फ़ोन नहीं था.
बाद में जाकर उनके परिवार वालों ने फ़ोन का इंतज़ाम किया. बता दें कि कृष्णकांत ने तीन प्रयास में परीक्षा पास की. पहले प्रयास में उन्होंने खुद से पढ़कर JEE Mains की परीक्षा दी और 53% स्कोर किए, उसके बाद जनवरी 2023 में उन्होंने दोबारा मेन्स की परीक्षा दी और 76% हासिल किए और तीसरे प्रयास में 91 पर्सेंटाइल हासिल किए और बन गए अपने गांव के पहले इंजीनियर बनेंगे.
वाह! जहां चाह है, वहां राह है.