वर्जिनिटी टेस्ट के ज़रिये ये पता लगाया जाता है कि लड़की ने शादी से पहले सेक्स किया है के नहीं. इस मुद्दे को लेकर बहस तो बहुत हुई है, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला लेकिन लगता है अब प्रथा के नाम पर लड़कियों पर किए जाने वाले इस अत्याचार से उन्हें छुटकारा मिलने वाला है.
दरअसल, महाराष्ट्र सरकार जल्द ही एक नोटिफ़िकेशन जारी करने वाली है, जिसके तहत किसी लड़की से जबरन वर्जिनटी टेस्ट कराना अपराध माना जाएगा. इसे सेक्सुएल असॉल्ट की तरह डील किया जाएगा.
ये समस्या महाराष्ट्र कई वर्षों से है. महाराष्ट्र में कंजरभाट नाम की जाति लोगों में ये इस घटिया प्रथा का चलन है. इसके अनुसार शादी के पंचायत बुलाई जाती है. पंचायत लड़का और लड़की को वर्जिनिटी टेस्ट के लिए कमरे में बंद कर देती है.
कमरे में सफ़ेद चादर बिछी होती है और जब लड़का-लड़की कुछ देर बाद बाहर आते हैं, तब उनके बिस्तर पर बिछी चादर चेक की जाती है. लोग देखते हैं कि उसमें ख़ून है कि नहीं.
इसके बाद भरी पंचायत में ही लड़के से पूछा जाता है कि तेरा माल कैसा है? अगर लड़का कहता है कि कच्चा तो लड़की उस टेस्ट में पास हो जाती है लेकिन अगर लड़का कहता है उसका माल पक्का है, तो उस लड़की और परिवार का समाज से बहिष्कार कर दिया जाता है. कई मामलों में तो तुरंत ही तलाक भी हो जाता है.
मगर इसी समुदाय के कुछ पढ़े-लिखे लोग इसका बहिष्कार करने लगे हैं. इस संबंध में पुलिस को कुछ शिकायतें भी मिली हैं. लेकिन खाप पंचायत के गवाहों को डराने-धमकाने के चलते केस आगे नहीं बढ़ पाता.
हाल ही में इस प्रथा के खिलाफ़ खड़े होने वाले अंधश्रद्धा उन्मुक्ति समिति के सदस्यों ने इसकी शिकायत महाराष्ट्र के गृह राज्य मंत्री रंजीत पाटिल से की थी. उन्होंने इस संदर्भ में उचित कदम उठाने का आश्वासन दिया था. अब बहुत जल्द इस संदर्भ में कानून बनने वाला है.
अच्छी बात है कि सरकार इसके प्रति सचेत है और इस कुरीति को रोकने के लिए कानून बनाने वाली है. मगर ये कानून भी उसी समाज पर लागू होगा जो चोरी-छिपे इस प्रथा को करते ही नहीं, बल्कि इसे जायज भी मानते हैं. ऐसे में बड़ा सवाल ये उठता है कि क्या ये समाज उस कानून को मानेगा?