Maharashtra Village One Student and One Teacher Story: सरकार ने ग्रामीण शिक्षा को हमेशा से ज़्यादा महत्त्व दिया है. इसलिए गांव-गांव में स्कूल खोला गया है ताकि गरीब बच्चों को शिक्षा मिल सके.
मगर क्या आपने कभी ऐसा स्कूल देखा है जो सिर्फ़ एक बच्चे के लिए चल रहा हो? महाराष्ट्र में ऐसा एक सरकारी स्कूल है. जहां के प्राइमरी स्कूल में सिर्फ़ एक बच्चा आता है और उसे पढ़ाने के लिए सिर्फ़ एक अध्यापक है. चलिए हम इस स्कूल के बारे में थोड़ा विस्तार से जानते हैं.
ये भी पढ़ें- लोगों के लिए मिसाल हैं लक्ष्मीबाला देवी, जो 102 साल की उम्र में मेहनत कर जीवन यापन कर रही हैं
चलिए विस्तार से जनते हैं महाराष्ट्र के इस स्कूल की कहानी-
महाराष्ट्र के वाशिम जिले का छोटा सा गांव है “गणेशपुर”
“गणेशपुर” महाराष्ट्र के वाशिम जिले का छोटा सा गांव है. जहां की कुल आबादी 150 है. जी हां, 150 लोगों की आबादी वाले इस गांव में एक प्राइमरी स्कूल है. जिसमें अभी तक तीसरी कक्षा में बस एक बच्चे ने एडमिशन लिया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक़, 1st से 4th कक्षा तक के बच्चों को उस स्कूल में जाने की अनुमति है. लेकिन वाशिम जिले से 22 किलोमीटर दूर होने के चलते, यहां बस एक बच्चा आता है.
1 बच्चे के लिए खुला रहा स्कूल!
एक बच्चा और एक शिक्षक की ये कोशिश एक दिन रंग लाए. यहां भी हर स्कूल की तरह सैकड़ों बच्चे दिखें. वैसे इस स्कूल के शिक्षक और बच्चे की सराहना हर सुनने वाला कर रहे है.
स्कूल के एकलौते अध्यापक ने बताई स्कूल की दिनचर्या-
किशोर मानकर इंटरव्यू के दौरान बताया कि वो रोज़ 12 किलोमीटर ट्रेवल करके स्कूल सिर्फ़ एक बच्चे को पढ़ाने के लिए जाते हैं. जिसका नाम कार्तिक शेगोकर है. किशोर जी ने बताया कि सुबह की शुरुआत राष्ट्रीय गान से होती है.
उन्होंने ये भी बताया कि “पिछले 2 वर्षों से स्कूल में केवल एक छात्र नामांकित है. मैं स्कूल में अकेला शिक्षक हूं, साथ ही हम कार्तिक को पढ़ाई के साथ-साथ अच्छा पौष्टिक आहार भी देते हैं और मैं ही अकेले उसे सारे विषय पढ़ाता हूं”.
वाह! ऐसे शिक्षक और छात्र की कहानी वाकई हमें शिक्षा का महत्व समझाती है.