जिसने झारखंड बनाने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया, वो बिनोद भगत, आज बेच रहे हैं सब्ज़ी

Akanksha Thapliyal

साल 2000 में भारत में तीन नए राज्य अस्तित्व में आये, झारखंड, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़. तीनों राज्यों का गठन कई सालों की लड़ाई और संघर्ष के बाद हुआ. झारखंड बिहार से अलग हो कर बना था और इसे बने हुए 17 साल से ज़्यादा हो चुके हैं. 1980 से 1990 तक इसके लिए संघर्ष करने वाले बिनोद भगत, जो कि झारखण्ड के स्कूल स्टूडेंट्स यूनियन के संस्थापकों में से एक थे, ने अपनी कई रातें जेलों में काटी हैं.

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उस वक़्त इस स्टूडेंट यूनियन ने झारखण्ड के गठन में बहुत बड़ा किरदार निभाया था. अपने लिए अलग राज्य की मांग करने और उसे बनाने वालों में से एक, बिनोद भगत आज जिस स्थिति में हैं, उसे देख कर किसी का भी खून खौल जाएगा.

बिनोद भगत मोरहाबादी की सड़कों पर सब्ज़ियां बेच रहे हैं, शर्म की बात है कि झारखण्ड के लिए लड़ने वाला ये आंदोलनकारी ऐसी बदहाल ज़िन्दगी जी रहा है.

झारखण्ड की लड़ाई में उनके साथी रहे लोग, और बाक़ी लोग जिन्हें उन्होंने खुद चुना था, आज बड़े-बड़े पदों पर बैठे हुए हैं और ऐश-ओ-आराम की ज़िन्दगी जी रहे हैं. भगत इकोनॉमिक्स से डबल डिग्री होल्डर हैं और धनबाद में रेलवे की असिस्टेंट मैनेजर की पोस्ट पर तैनात थे.

पूछने पर वो कहते हैं कि मैंने 1986 में अपनी नौकरी इसलिए छोड़ दी, ताकि हम झारखण्ड बना सकें. मुझे ये नहीं पता था कि राज्य भ्रष्टाचारियों और गलत के लोगों के हाथों में चला जाएगा. उन्हें सब्ज़ी बेचने में कोई शर्म नहीं आती, वो कहते हैं कि अगर मैं थोड़ा भी कमा कर घर जाता हूं, तो भी खुश हूं क्योंकि ये मेरी मेहनत का पैसा है.

वो हर दिन अपनी कमाई से 100 रूपये घर ले जाते हैं ताकि झारखण्ड की माइनिंग इंडस्ट्री पर रिसर्च कर सकें. 

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