बेटे ने अपने पिता का ‘दो’ बार किया अंतिम संस्कार, दिल्ली के अस्पताल में हुई गड़बड़

Ishi Kanodiya

मौलाना आज़ाद शवगृह (लोक नायक हॉस्पिटल के अंतर्गत आने वाला शव गृह) में दो बॉडी का एक ही नाम ‘मोइनुद्दीन’ साझा करने की वजह से, कलामुद्दीन नाम के बंदे को अपने पिता का अंतिम संस्कार दो बार करना पड़ा.  

जिसमे की पहली बॉडी, ऐजाज़ उद्दीन के बड़े भाई की थी और दूसरी ख़ुद कलामुद्दीन के पिता की थी.  

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दूसरा मोइनुद्दीन 

Indian Express की ख़बर अनुसार, रविवार को ऐजाज़ ने लोक नायक शव गृह में तक़रीबन 250 शवों को देखा होगा, तब जाकर उन्हें पता चला कि उनके बड़े भाई को एक दिन पहले ही जदीद क़ब्रिस्तान में दफ़ना दिया गया है.  

ऐजाज़ ने कहा, “हमने जैसे-तैसे कर के उस संपर्क किया और उनसे कहा कि वे कल दफ़न किए गए शरीर की एक तस्वीर भेजें.” 

तस्वीर देखते ही ऐजाज़ तुरंत समझ गए थे कि ये उनके बड़े भाई का ही शव है.  

अजीज़ के भाई को 2 जून को LNJP हॉस्पिटल लाया गया था, जब ब्लड प्रेशर काफ़ी गिर गया था. ECG टेस्ट करने के दौरान ही उनके भाई की मृत्यु हो गई. उनके भाई का कोरोना टेस्ट भी किया गया था, दो दिन के बाद आई रिपोर्ट में वो पॉज़िटिव भी पाए गए थे.   

अपने पति की मरने की ख़बर सुन अजीज़ की भाभी का दिल का दौरा पड़ने की वजह से उनकी भी जान चली गई.  

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कलामुद्दीन के पिता  

कलामुद्दीन का परिवार पटपड़गंज में रहता है. उनके पिता वहीं पास के हॉस्पिटल में किडनी ख़राब होने की वजह से Dialysis करवाते थे. हॉस्पिटल ने 4 जून को उनके पिता का LNJP हॉस्पिटल में कोरोना का टेस्ट करवाने के लिए कहा था. जिसके बाद परिवार वाले उन्हें लोक नायक (LNJP) अस्पताल ले आए. दुर्भाग्यपूर्ण, उस ही रात उनके पता का निधन हो गया.  

The Print से की बात चीत में कलामुद्दीन ने बताया, “उनका पूरा चेहरा सूजा जुआ था और खून के धब्बे भी थे. जब मैंने डॉक्टर से पूछा तो उन्होंने कहा dialysis होने की वजह से ऐसा हो गया है. हमने तुरंत शव को अपना लिया क्योंकि वो कोरोना के मरीज़ थे.” 

आगे बताते हुए वो कहते हैं, “मैंने तुरंत शव को नहीं पहचाना क्योंकि चेहरा मुंडा हुआ था और सूजा भी, लेकिन डेथ सर्टिफ़िकेट पर सारी जानकारी सही थी इसलिए हमने दफ़नाने का सोचा.”  

मगर रविवार यानी 7 जून को कलामुद्दीन के पास हॉस्पिटल से एक बार फिर से कॉल आता है एक दूसरी बॉडी को देखने के लिए. जिसको देखते ही वो समझ जाते हैं कि ये उनके पिता का शव है न की पहले वाला.  

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इस पूरे मामले में हॉस्पिटल का रवैया  

डॉ. अमनदीप कौर, शव गृह में प्रभारी अधिकारी ने कहा कि ये सारी गड़बड़ी पहले परिवार की वजह से हुई थी क्योंकि उन्होंने गलत बॉडी की पहचान की. 

“उनकों किसी ने मुख्य हॉस्पिटल से कॉल करके बुलाया था. शरीर की पहचान संख्या, नाम और अन्य विवरण हमारे द्वारा सही तरीके से लिखे गए थे. जब परिवार आया तो उन्होंने ग़लत शव की पहचान की और शरीर दफ़न करने के साथ आगे बढ़ गए.” 

Indian Express के मुताबिक़, जब ऐजाज़ अपने भाई की बॉडी की पहचान करने हॉस्पिटल गए थे तो उन्हें बॉडी और रिपोर्ट दिखाई गई थी.  

“हॉस्पिटल ने मुझे गलत रिपोर्ट और बॉडी दिखाई थी. रिपोर्ट में लिखा था मोइनुद्दीन, रहीमुद्दीन का बेटा जिसकी उम्र 70 साल है जबकि मेरा भाई अमीरुद्दीन का बेटा है और उम्र 50 साल है.” 

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ख़ैर, आख़िर में दोनों मोइनुद्दीन परिवार मिले और कलामुद्दीन ने रविवार दोपहर दूसरा अंतिम संस्कार किया. 

दोनों मोइनुद्दीन की कब्र जदीद क़ब्रिस्तान में एक दूसरे के बगल में है.

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