सेंट्रल इन्फ़ॉर्मेशन कमीशन (CIC) ने सरकार से एक ताज़ा मामले में सफ़ाई मांगी है. CIC ने सरकार से पूछा है कि दुनिया के सात अजूबों में शामिल, ताजमहल एक मकबरा है या शिव मंदिर?.
ताज का इतिहास जानने के लिए एक आरटीआई दाखिल की गई है. इस मामले में CIC ने कल्चर मिनिस्ट्री की राय मांगी है और Archaeological Survey of India (एएसआई) को जवाब देने का आदेश दिया है.
गौरतलब है कि ताजमहल के इतिहास के विवाद से जुड़े केस को सुप्रीम कोर्ट समेत, देश की कई अदालतें खारिज कर चुकी हैं. सफ़ेद संगमरमर से बने इस अद्भुत स्मारक को देखने दुनिया भर से पर्यटक पहुंचते हैं. ताज के इतिहास के बारे में किए जा रहे दावों की सच्चाई जानने के लिए बीकेएसआर अय्यंगर ने ASI के पास आरटीआई फाइल की थी.
’17वीं सदी में इस इमारत को कैसे बनाया गया था ? इसमें कितने कमरे हैं? कितने सुरक्षा के लिहाज़ से बंद किए गए हैं?’ अय्यंगर ने सबूतों के साथ एएसआई से इन सवालों की जानकारी भी मांगी. लेकिन उन्हें जवाब मिला कि ऐसे सबूत और रिकॉर्ड मौजूद नहीं हैं.
आचार्यालु के मुताबिक, ”आरटीआई का जवाब देने के लिए एएसआई को ताजमहल का इतिहास खंगालना होगा, रिसर्च करनी होगी. इसके बंद कमरों को खोलने से कई राज़ खुलेंगे और ताजमहल का नया इतिहास सामने आ सकता है.”
गौरतलब है कि ताजमहल का नाम तेजो महालय करने की मांग भी उठती रही हैं.
आचार्यालु के मुताबिक, इतिहासकार पीएन ओक ने किताब ‘Taj Mahal: The True Story’ में लिखा है कि ताजमहल वास्तव में एक शिव मंदिर है, जिसे राजपूत राजा ने बनवाया था. उन्होंने बाद में इसे शाहजहां को दे दिया.
इतिहासकार के नाते ओक 17 साल पहले इसे शिव मंदिर घोषित करने की मांग सुप्रीम कोर्ट से कर चुके हैं. तब कोर्ट ने फ़टकार लगाते हुए कहा था कि आप इस मुद्दे को ज़रुरत से ज़्यादा तवज्जो दे रहे हैं.
इसके बाद फ़रवरी, 2005 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक पेटिशन फ़ाइल हुई. इसमें ताज को मुग़लकालीन बताने वाले ASI के नोटिस को रद्द करने की मांग की गई. तब हाईकोर्ट की बेंच ने इसे तथ्यों के विवाद का मुद्दा बताकर खारिज कर दिया था.