वो गांव जहां नहीं है कोई फुटबॉल ख़िलाड़ी या स्टेडियम, फिर भी क्यों फुटबॉल के लिए इसकी होती है चर्चा  

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Meerut Village Football : ये सब जानते हैं कि भारत में सबसे ज़्यादा क्रिकेट प्रेमियों की भरमार है. लेकिन यहां एक ऐसा गांव भी है, जो फुटबॉल के लिए ख़ासा चर्चित है. यहां बात मेरठ के सिसौला बुजुर्ग गांव की हो रही है. दिलचस्प बात ये है कि यहां पर एक भी फुटबॉल स्टेडियम नहीं है. ना ही इस गांव से कोई अब तक फुटबॉल का महान ख़िलाड़ी निकला है. सवाल उठता है कि फिर ऐसा इस गांव में क्या है, जो फुटबॉल के लिए ये ख़ासा चर्चित हो रहा है. 

आइए आपको इस गांव के बारे में विस्तार से बताते हैं.

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क्यों ये गांव है इतना फ़ेमस?

दरअसल, इस गांव में हर साल कुल मिलाकर 11 लाख गेंदे बनती हैं. यहां के 3000 परिवार कमाई के लिए फुटबॉल की सिलाई पर आश्रित है. इसकी शुरुआत मेरठ में खेल का सामान बनाने का निर्माण करने वाली इकाई में काम करने वाले एक युवक हरि प्रकाश ने की थी. वो कुछ कच्चा माल घर लाए. इसके बाद उन्होंने आसपास के लोग जुटाने शुरू किए और लोगों को फुटबॉल का निर्माण करने के लिए प्रेरित किया. शुरुआत में उनकी बात मानकर लोग शौक-शौक में ये काम शुरू करने लगे. फिर धीरे-धीरे लोगों को इस काम में मज़ा आने लगा. ऑर्डर मिलने लगे और तब से ये काम जारी है. 

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महिलाएं हैं असली स्टार

इस काम में जितने पुरुष एक्टिव हैं, उतनी ही महिलाएं भी हैं. इस काम ने महिलाओं को भी रोजगार दिया है. कई महिलाएं ऐसी भी हैं, जिन्होंने इससे मिलने वाली कमाई का इस्तेमाल अपनी पढ़ाई के लिए किया है. उन्होंने इससे अपनी ज़िंदगी बेहतरीन की है. वहीं, कई महिलाओं ने इससे मिलने वाली कमाई से ख़ुद अपनी शादी का ख़र्चा भी उठाया है. अब वो मर्दों पर फ़ाइनेंशियल ज़रूरतों के लिए आश्रित नहीं हैं.

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हर रोज़ बनाई जाती हैं 3000 फुटबॉल

इस गांव में हर दिन हर परिवार 5-6 गेंदों की सिलाई करता है और हर दिन यहां 3000 फुटबॉल बनती हैं. एक स्थानीय व्यक्ति के मुताबिक यहां का सालाना कारोबार 3 करोड़ रुपए का है. साल में यहां 11 लाख फुटबॉल बनाई जाती हैं. यहां के निवासी अपने गांव की बदली हुई तस्वीर देखकर काफ़ी गर्व महसूस करते हैं. 

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उत्तर प्रदेश के इस गांव ने अपनी तकदीर ख़ुद बनाई है.  

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