पिछले कुछ सालों में लोगों के बीच पर्वतारोहण और ट्रेकिंग का क्रेज़ काफ़ी बढ़ गया है. आज के दौर में लोग न केवल पहाड़ों में घूमना चाहते हैं, बल्कि हर एक नयी चीज़ को एक्सप्लोर करना चाहते हैं. लेकिन लोगों का यही घूमना-फिरना प्रकृति के लिए बेहद नुकसानदायक साबित हो रहा है.
आंकड़ों की मानें तो हर साल हिमालय से 1000 टन से अधिक कचरा निकाला जाता है. दुनिया की सबसे ऊंची चोटी ‘माउंट एवरेस्ट’ भी इससे अछूती नहीं है. हर साल ‘माउंट एवरेस्ट’ पर पर्वतारोहियों द्वारा प्लास्टिक की बोतलें, रैपर, इस्तेमाल की गई ऑक्सीजन बोतलें, फटे हुए टेंट, रस्सियों, टूटी सीढ़ी, प्लास्टिक के डिब्बे छोड़े जाते हैं.
पेशे से राइटर और पर्वतारोही Marion Chaygneaud-Dupuy पिछले कई सालों से ‘माउंट एवरेस्ट’ पर पर्वतारोहियों द्वारा फ़ेंके प्लास्टिक कचरे को समेटने का नेक काम कर रही हैं. इसके साथ ही वो पर्वतारोहियों को प्रकृति के प्रति जागरूक करने का काम भी कर रही हैं. पिछले 3 सालों में मैरियन एवरेस्ट से सैकड़ों टन प्लास्टिक कचरा निकाल चुकी हैं.
फ़्रांस की रहने वाली 40 वर्षीय मैरियन 3 बार माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई कर चुकी हैं. ऐसा करने वाली वो दुनिया की चंद महिलाओं में से एक हैं. फ़्रांस के एक किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाली Marion का घर Dordogne में जंगल के बीचों बीच स्थित है. इसलिए भी उन्हें प्रकृति से बेहद लगाव है. मैरियन के माता-पिता उन्हें बचपन से ही सेल्फ़ डिपेंडेंट रहने की प्रेरणा दे.
दुनिया की सबसे ऊंची चोटी को फतह करने की कोशिश कर रहे पर्वतारोहियों की बढ़ती संख्या हर साल बढ़ रही है. इसके साथ ही इसके गंभीर परिणाम भी सामने आ रहे हैं. इसीलिए 3 साल पहले मैरियन ने हिमालय की चोटियों को कचरे से मुक्त करने के लिए ‘क्लीन एवरेस्ट परियोजना’ की शुरुआत की. पिछले 3 सालों में मैरियन और उनकी टीम ‘माउंट एवरेस्ट’ से 8 टन से अधिक कचरा साफ़ कर चुकी है.
मैरियन ने बेहद कम उम्र में ही भारत और तिब्बत की पूरी यात्रा कर ली थी. पिछले 17 वर्षों से वो हिमालय में ही रह रही हैं. इस दौरान ‘क्लीन एवरेस्ट परियोजना’ के तहत मैरियन ने स्थानीय अधिकारियों की मदद से एवरेस्ट से कचरे को उठाने के लिए 50 याक की सहायता भी ली थी.
मैरियन और उसकी टीम को इस काम के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिली. साल 2019 में ‘French organization Fondation Yves Rocher’ द्वारा उन्हें ‘Terre de Femmes’ अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था. मैरियन का ये मिशन न केवल पर्यावरण को संरक्षित करना है, बल्कि वहां रहने वाली आबादी के जीवन की गुणवत्ता को बदलना भी है.
‘यवेस रोचर फ़ाउंडेशन’ के कार्यक्रम में मैरियन ने कहा कि, ‘मेरा लक्ष्य एवरेस्ट को पूरी तरह से ‘नीट एंड क्लीन’ बनाना है. हिमालय में प्रदूषण की वजह से पीने के पानी की गुणवत्ता पर सीधा प्रभाव पड़ा है. हिमालय के आस-पास के इलाक़ों में भी वातावरण बेहद दूषित हुआ है. इसकी वजह से भारत, चीन और नेपाल के क़रीब 2 अरब लोग प्रभावित हो रहे हैं.