वेनिस से वाराणसी: मिलिए हिंदी बोलने वाले इस विदेशी से, जिसने हिंदी बोलने में सबको पीछे छोड़ दिया

Kratika Nigam

हिंदी भाषा वाकई में हर भाषा से ऊपर है, जो सबको अपना दीवाना बना देती है. ऐसा ही कुछ इटली के Marco Zolli के साथ भी हुआ है. Marco को भारत देश और यहां की भाषा से लगाव तब हुआ, जब उन्‍होंने एक वेनेशियन यूनिवर्सिटी से हिंदी का कोर्स किया. 

Marco ने उस वक़्त सबको चौंका दिया, जब उन्होंने वेनिस की एक पार्टी में एक महिला से पूछा, ‘आप क्‍या लेंगी?’ वो महिला चौंक गई. क्योंकि उस शख़्स की हिंदी बहुत शुद्ध थी और वो बनारसी लहजे में ‘संदर्भ’ और ‘व्‍याकरण’ जैसे शब्‍द बड़ी सहजता से बोल रहा था. 

वैसे तो, जब बात इटली की आती है, तो सबसे पहले दिमाग़ में सोनिया गांधी आती हैं. वो अलग बात है कि उन्हें इतनी अच्छी हिंदी नहीं आती. सोनिया गांधी इटली के वेनेटो इलाके के एक छोटे से शहर से हैं, लेकिन सोनिया माइनो का भारत से प्रेम कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से शुरू हुआ था.  

indianembassyrome

TOI को बताया, 

योग या अध्‍यात्‍म ने मुझे अपनी ओर नहीं खींचा था. मैं उस समय केवल 17 साल का था और दुनिया के बारे में अपने नज़रिए को बढ़ाना चाहता था. किसी संस्‍कृति को समझने के लिए हमें उसकी भाषा सीखनी होती है. इसलिए 20 साल की उम्र में मैं भारत आ गया और मसूरी के कस्‍बे लैन्डूर स्थित एक स्‍कूल में तीन महीने का हिंदी कोर्स किया. इसके अलावा मैं वहां के बच्चों से बात करता था, उनके साथ खेलता था. उन तीन महीनों में मैं हिंदी भाषा का दीवाना हो गया. हिंदी की सबसे अद्भुत बात ये है कि इसकी शब्‍दावली में उर्दू, संस्‍कृत और इंग्लिश जैसी भाषाओं के ढेरों शब्‍द समाहित हैं.

-Marco Zolli

इसके बाद मार्को वापस वेनिस लौट गए और उन्होंने अपनी भीष्‍म साहनी के उपन्‍यास पर पीएचडी थीसिस ख़त्‍म की, लेकिन वो बार-बार भारत आते रहे. उनके इस भारत प्रेम की वजह से उन्हें दिल्‍ली यूनिवर्सिटी में इटैलियन पढ़ाने का ऑफ़र आया. 

इस पर उन्होंने कहा,

दिलचस्‍प बात ये है कि मेरे भारतीय सहयोगी इंग्लिश पढ़ाते थे और मैं हिंदी.

Marco का हिंदी प्रेम ख़त्म नहीं हुआ. वो वाराणसी में एक हिंदी का स्‍कूल चलाते हैं. मार्को ने बताया

इस स्कूल में बोलचाल वाली हिंदी पर फ़ोकस किया जाता है. जो लोग स्‍कूल में काम करते हैं वो हिंदी बोलते हैं, कुछ लोग थोड़ी इटैलियन भी बोलते हैं, लेकिन अंग्रेज़ी कोई नहीं बोलता.’ इसलिए Marco एक कंसल्‍टेंट के रूप में भी काम करते हैं और भारत में बिज़नेस करने वाली इटैलियन कंपनियों को भारतीय संस्‍कृति से रू-ब-रू कराते हैं.

Marco ने अपने हिंदी सीखने के दौरान के मज़ेदार वाक्ये को बताया कि एक बार उन्होंने हिंदी डिक्शनरी से एक शब्द खोजा, ‘तापक’. जिसे वो मसूरी की दुकानों में खोजते फिर रहे थे, लेकिन किसी को भी समझ नहीं आया. जब उन्हें तापक एक दुकान पर दिखा, तो उन्होंने बोला ये चाहिए. तो दुकानदार ने कहा, आपको हीटर चाहिए, तो आपने यह क्‍यों नहीं बोला? इसी तरह से जब आप किसी होटल में जाकर ‘मेज’ के बारे में पूछेंगे तो वेटर सोचेगा कि शायद आप पागल हो गए हैं.’ तब उन्हें हिंदी भाषा लिखने और बोलने का अंतर समझ आया है.

हालांकि, Marco वेनिस और वाराणसी के बीच यात्रा करते रहते हैं. उनका साथ देती है उनकी चार साल की बेटी, जिसे वो कम उम्र में ही इस भाषा को सिखाना और समझाना चाहते हैं. 

मार्को कहते हैं, ‘मेरी पत्‍नी भी हिंदी बोल लेती है. मुझे नहीं लगता कि मैंने किसी हिंदी न बोल पाने वाली लड़की से शादी की है.’ 

हिंदी भाषा पर हमें गर्व होना चाहिए.

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