पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले पत्रकारों से जुड़े पुलित्ज़र पुरस्कारों की घोषणा हो चुकी है. यूट्यूब लाइव के ज़रिये इन पुरस्कारों को पाने वाले पत्रकारों के नाम की घोषणा की गई. Covid-19 के कारण 2020 के Pulitzer पुरस्कारों की घोषणा में दो सप्ताह की देरी हुई. इनमें से तीन पत्रकार भारत के भी हैं.
ये तीनों पत्रकार फ़ोटो जर्नलिस्ट हैं जो जम्मू-कश्मीर में रहते हैं. इनके नाम हैं मुख्तार ख़ान, यासीन डार और चन्नी आनंद. ये तीनों पत्रकार एसोसिएट प्रेस(AP) के लिए काम करते हैं. इन्होंने पिछले साल जम्मू-कश्मीर से धारा 370 के हटाए जाने के बाद के हालातों को अपने कैमरे में क़ैद कर लोगों तक पहुंचाया था.
तीनों को फ़ीचर फ़ोटोग्राफ़ी की कैटेगरी में ये पुरस्कार दिया गया है. चन्नी आनंद जम्मू के रहने वाले हैं जबकि यासीन और मुख्तार श्रीनगर में रहते हैं. चन्नी आनंद को पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए क़रीब 2 दशक हो गए हैं. वो इन दिनों सामाजिक मुद्दों और प्राकृतिक आपदाओं की स्टोरी कवर करते हैं.
मुख़्तार ख़ान भी दो दशकों से घाटी में बतौर फ़ोटो जर्नलिस्ट काम कर रहे हैं. इस दौरान उन्होंने कश्मीर के प्रदर्शनकारियों, सुरक्षाबलों और सामान्य लोगों से जुड़ी कहानियां लोगों तक पहुंचाई. इन्होंने साल 2015 का Atlanta Photojournalism Award जीता था.
यासीन डार कई दशकों से कश्मीर के हालातों को पूरी दुनिया तक पहुंचा रहे हैं. इन्होंने अफ़गान युद्ध, अफ़गानिस्तान शरणार्थी, दक्षिण एशिया में आए ख़तरनाक भूकंप की स्टोरीज़ को भी कवर किया है. इन्होंने Ramnath Goenka Excellence In Journalism Awards, Robert F. Kennedy Award और Yannis Behrakis International Photojournalism Award जैसे अवॉर्ड जीते हैं.
हालांकि, जम्मू-कश्मीर में रिपोर्टिंग करना और अलग-अलग घटनाओं की तस्वीरें लेना इतना आसान नहीं है. अधिकतर यहां कर्फ़्यू लगा रहता है और घाटी में सक्रीय आतंकवादियों के निशाने पर भी आने का ख़तरा रहता है. इसलिए इन्हें चोरी-छुपे अपने काम को अंजाम देना होता है.
इसके बारे में बात करते हुए यासीन ने कहा- ‘ये चूहे-बिल्ली वाले खेल के जैसा होता है. लेकिन ये सारी बातें भी हमें चुप रहने से रोक नहीं सकती. इन्होंने हमें और दृढ़ बना दिया है.’
इस पुरस्कार को जीतने के बाद सोशल मीडिया पर लोग जमकर इन्हें बधाई संदेश भेज रहे हैं. आप भी देखिए:
ये जम्मू-कश्मीर के लिए ही नहीं हमारे लिए भी बहुत गर्व की बात है.