सऊदी के प्रधान मौलवी का फ़तवा, ‘ज़्यादा भूख लगने पर पुरुष खा सकते हैं अपनी पत्नी को’

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फ़तवा’ का मतलब तो आप समझते ही होंगे. फ़तवा इस्लाम में मज़हब की ज़्यादा जानकारी रखने वाले जानकार द्वारा दिया जाने वाला राय है. समाज के बदलते स्वरुप में ‘फ़तवा’ शब्द फ़रमान की तरह यूज़ किया जाने लगा. अकसर आप सुनते होंगे कि मौलवी ने फलां-फलां फ़तवा जारी किया या किसी के खिलाफ़ फ़तवा जारी किया गया. अभी कुछ साल पहले ही प्रसिद्द संगीतज्ञ A. R. Rahman के खिलाफ़ भी फ़तवा जारी किया था. हिज़ाब पहनने को लेकर भी कई बार फ़तवा जारी किया जा चुका है. पर जिस फ़तवा के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, उसे जान कर आप हैरान रह जायेंगे. सऊदी अरब के मुफ़्ती अब्दुल अज़ीज़ बिन अब्दुल्लाह ने एक ऐसा फ़तवा जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि ‘सऊदी अरब के पुरुष अगर भूख से परेशान हों, तो वो अपनी पत्नियों को खा सकते हैं.

बिना सिर-पैर का ये फ़तवा मौलवी साहब के सारे ज्ञान की पोल खोलने के लिए काफ़ी है. आपको बता दें कि ये फ़तवा अभी नहीं, बल्कि 2015 में ही जारी किया गया था. पर पिछले कुछ दिनों से इस पर ख़ूब चर्चाएं हो रही हैं. इतना ही नहीं, मौलवी का ऐसा मानना है कि ये महिलाओं का बलिदान और पति के प्रति आज्ञाकारिता का भाव दिखायेगा. मानव अधिकार वाले इस फ़तवे के खिलाफ़ जम कर बरस पड़े हैं. इस फ़तवे में ऐसा बताया गया है कि किन परिस्थितियों में पुरुष अपनी पत्नी के अंगों को खा सकता है.

ये मौलवी तब चर्चा में आया था, जब उसने इस्लामिक क़ानून का हवाला देकर अपने अनुयायियों ये कहा था कि सारे गिरजाघरों को तोड़ देना चाहिए. सऊदी अरब के इस प्रधान मौलवी ने कहा है कि उन्होंने ऐसा कोई फ़तवा जारी नहीं किया है. उनका कहना है कि ये किसी की साज़िश है, ताकि इस्लाम धर्म के लोग मस्ज़िद पर भरोसा करना छोड़ दें.

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अब मौलवी साहब ने कहा या नहीं कहा ये हम नहीं जानते. पर इतना ज़रूर है कि फ़ैसला लेने और क़ानून बनाने के लिए हमने को सरकार चुना है. कोई पुजारी या मौलवी हमारे लिए फ़ैसला नहीं ले सकता.

Feature Image: Alarabiya

Source: Indiatoday

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