भूख और ग़रीबी की मार से जिस्मफ़रोशी करने पर मजबूर हुई नाबालिग लड़कियां, दर्दनाक है ये ख़बर

Sanchita Pathak

स्वाधीन भारत में भी ग़रीबी, भुखमरी, अशिक्षा, मानव तस्करी, सेक्स ट्रेड बेहद गंभीर समस्याओं में से हैं. देश कितनी भी तरक्की कर रहा हो पर इन समस्याओं से निजात मिलना निकट भविष्य में असंभव ही लगता है.


अपना गुज़ारा करने के लिए न चाहते हुए भी लोगों को ऐसे क़दम उठाने पड़ते हैं जो उन्हें नागवार होता है. खाने के 2 निवालों का लालच देकर अमीरज़ादे ग़रीबों का स्वाभिमान ख़रीदने की हिम्मत रखते हैं. सबसे दुखद बात है कि पुलिस से लेकर सरकारी महकमे तक इन बातों की ख़बर सभी को होती है, कड़े नियम भी है पर कोई कुछ नहीं कहता, करता. 

अमीर लोग, ग़रीब नाबालिगों को सेक्शुअली एक्सप्लॉयट करने से ज़रा भी नहीं हिचकिचाते.  

The Hawk

उत्तर प्रदेश के चित्रकूट से ऐसी है एक रूह कंपाने वाली घटना सामने आई है. India Today की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, यहां के ग़रीब आदिवासी परिवार की 2 लड़कियां ग़ैरक़ानूनी खदानों में काम करती थी. कॉन्ट्रैक्टर और बिचौलिये उन्हें उनकी मेहनत का पैसा नहीं देते थे. मजबूरन दोनों नाबालिगों को देह व्यापार में उतरना पड़ा, वो भी बेहद कम पैसों में.


ग़रीबी की ऐसी मार पड़ी कि स्कूल जाने, सपने देखने की उम्र में इन बच्चियों को परिवार के पालन-पोषण की ज़िम्मेदारी उठानी पड़ी और पैसे के लिए मजबूरन जिस्मफ़रोशी करना पड़ा. 

12 और 14 साल की ये बच्चियां ग़ैरक़ानूनी खदानों में काम करती थी जहां कॉन्ट्रैक्टर्स और बिचौलिये ने उन्हें 200-300 रुपये में जिस्मफ़रोशी करने पर मजबूर किया.

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स्नेहा (बदला हुआ नाम) ने India Today को बताया कि वे कर्वी गांव की रहने वाली हैं. जब वो खदानों में काम ढूंढने के लिए गई तब कॉन्ट्रैक्टर ने उन्हें इस शर्त पर काम पर रखा कि वो सेक्स वर्क भी करेंगी.

हम मजबूर हैं, हम मान जाते हैं. वे हमें नौकरी देते हैं, हमारा शोषण करते हैं और हमें पूरा पैसा भी नहीं देते. जब हम संबंध बनाने से मना करते हैं तो वो हमें नौकरी से निकालने की धमकी देते हैं. अगर काम नहीं करेंगे तो खायेंगे क्या? आख़िर में उनकी बात माननी पड़ती है. 

-स्नेहा

रिया (बदला हुआ नाम) ने बताया कि कॉन्ट्रैक्टर उन्हें अपना असली नाम नहीं बताते थे.  

वो हमें धमकी देते थे कि अगर हमें नौकरी करनी है तो हमें उनकी बात माननी होगी. हम मान जाते थे. वो पैसे का लालच देते थे और कई बार एक से ज़्यादा पुरुष होते थे. उनको मना करने पर पहाड़ से धक्का देने की भी धमकी देते थे. 

-रिया

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India Today की रिपोर्ट के अनुसार इन बच्चियों के माता-पिता को भी शोषण का पता था पर वो मजबूर थे. रिया की मां का कहना है कि परिवार का पेट भरना आसान नहीं है. 

हम मजबूर है. वो रोज़ के 300-400 देने का वादा करते हैं. कभी 150 देते हैं कभी 200. बच्चे काम से वापस आकर आप-बीती सुनाते हैं. पर हम क्या कर सकते हैं? हम मज़दूर हैं. हमें अपने परिवार का पेट पालना है. मेरे पति बीमार रहते हैं उन्हें इलाज की ज़रूरत है. 

-रिया की मां

India Today

रिया के पिता भी अपनी बेबसी ज़ाहिर करते हैं.


वीनिता (बदला हुआ नाम) 14 साल की है और कर्वी गांव की रहने वाली हैं. उसके पिता मर चुके हैं और वो भी ख़दानों में काम करने जाती है ताकी अपने परिवार का पेट पाल सके. ग़रीबी के कारण वीनिता ने 7वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी.  

ख़दानों के पीछे कॉन्ट्रैक्टर्स ने कुछ बिस्तर लगाये हैं. वे हमें वहीं ले जाते हैं और एक-एक करके हमारा यौन शोषण करते हैं. हमें वहां एक-एक करके जाना पड़ता है. अगर हम मना करते हैं तो वो हमें मारते हैं. दर्द होता है, हम चीखते हैं. पर हम क्या करें? हमें बहुत तकलीफ़ होती है… कई बार हम मर जाने या भाग जाने का सोचते हैं. 

-वीनिता

India Today से बात-चीत में इन लड़कियों ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से उन पर दोहरी मार पड़ी है. लॉकडाउन की वजह से उन लड़कियों पर शोषण का ख़तरा बढ़ गया है.


चित्रकूट में 50 स्टोन क्रशर्स हैं. भूख और बेरोज़गारी की मार झेल रही कोल जनजाति के लोगों के पास खदानों में काम करने के अलावा कोई चारा नहीं है. कॉन्ट्रैक्टर्स आदिवासियों की लाचारी का फ़ायदा उठाते हैं और उनके बच्चों का यौन शोषण करते हैं. शोषण से तंग आकर कई महिलाओं ने खदानों में काम करना छोड़ दिया है और अब अपनी लड़कियों को भेजने लगी हैं. 

ज़िलाधिकारी ने मामले पर संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दिये हैं.    

देश में चित्रकूट के इस घटना जैसी ही घटनाएं घट रही होंगी, जहां क़ानून की हवा तक नहीं पहुंचती होगी.  

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