ट्रेन 18 की टूटी खिड़कियां बताती हैं कि हम भारतीय क्यों High Speed Trains के क़ाबिल नहीं हैं

Sanchita Pathak

भारतीय रेलवे की सबसे तेज़ रफ़्तार ट्रेन, ‘ट्रेन 18’, जो 29 दिसंबर को रवाना होने वाली थी, उस पर लोगों ने पथराव किया है.

दिल्ली से आगरा के बीच चलने वाली इस ट्रेन के शीशे फोड़ दिए गए हैं. 100 करोड़ की इस ट्रेन के एक कोच के शीशे टूटे हुए मिले हैं.

TOI

TOI के अनुसार, ट्रेन 18 देश की पहली Engine-less Train है. इसे चेन्नई की Integral Coach Factory में बनाया गया है.

Integral Coach Factory के प्रवक्ता जी.वी.वेंकटेशन ने कहा,

जब आगरा से दिल्ली के बीच ट्रेन की रफ़्तार का Trial किया जा रहा था, तब कुछ लोगों ने ट्रेन पर पत्थर फेंके. पब्लिक प्रॉपर्टी को, ख़ास तौर पर ट्रेन 18 जैसी गौरवपूर्ण योजना को नुकसान पहुंचाना निंदनीय है. ये पब्लिक प्रॉपर्टी है और ये जनता के लिए ही है.
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ट्रेन 18 Wifi, Bio Vaccum Toilet, LED Lighting, Mobile Charging Point और Climate Control System जैसी आधुनिक तकनीकों से लैस है.

लोकल ट्रेन से लेकर एसी के 3-टियर कोच तक(निजी अनुभव) लोग ट्रेन की फ़र्श पर ही गंदगी करते हैं. ज़रा सोचिए क्या फल, मूंगफली के छिलकों को कागज़ में लपेटकर रखना और बाद में कचरा-पेटी में फेंकना इतना कठिन है?  

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