हमारे सामने इंसानों द्वारा बर्बरता से जानवरों की हत्या की कई ख़बरें आती हैं. इंसान होकर हमने जानवरों से उनका घर, उनका जंगल छीन लिया और अब हम ही कहते हैं कि ‘जानवर इंसानी इलाक़ों में आ गये’
नफ़रतों से भरी दुनिया के बीच कई बार ऐसी कहानियां सामने आ जाती हैं जो साबित करती हैं कि इंसानियत अभी बाक़ी है. ऐसी ही एक घटना आई है ज़िला रतलाम की एक तहसील से.
Free Press Journal की रिपोर्ट के अनुसार, यहां एक बंदर की मौत के बाद उसका रीति-रिवाज़ से अंतिम संस्कार किया गया. बंदर की शवयात्रा में कई गांववाले शामिल हुए. दुकानदारों ने एक दिन के लिए दुकानें बंद भी रखी.
बीते मंगलवार को लाइव वायर की चपेट में आकर बंदर की मौत हो गई. इसके बाद कुछ गांववालों ने बंदर को सम्मानपूर्वक अंतिम विदाई देने का निर्णय लिया. गांववालों ने बंदर को फूलों का हार पहनाया, उसे लाल कपड़े में लपेटा और सम्मान व्यक्त किया. बंदर का क्षिप्रा नदी के तट पर वैसे ही अंतिम संस्कार किया गया जैसा किसी इंसान का किया जाता है.
पंचायत के एक सदस्य का कहना था कि उनके यहां बंदर की मृत्यु को अपशकुन माना जाता है और बंदर का नियमानुसार अंतिम संस्कार किया जाता है.